पूर्वजन्म को जानना हुआ आसान, जाने इन तीन तरीकों से!

0
3374
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
21

पूर्वजन्म को जानना हुआ आसान, जाने इन तीन तरीकों से!
Purwa janam.-11हिन्दू धर्म के अनुसार, आत्मा अमर हैं। यह एक शरीर का त्याग कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती हैं। इस सम्बंध में महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश में भी बताया था। जैसे मनुष्य एक वस्त्र को त्याग कर दूसरे वस्त्र को धारण करता हैं। वैसे ही आत्मा एक शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर को धारण करती हैं। यह सब जानने के बाद हमारे जहन में भी हमेशा अपने पिछले जन्म के बारे में जानने की उत्सक्ता बनी रहती हैं। इसी क्रम में आज हम आपको अपने पुर्नजन्म को जानने के तीन सरल तरीको से अवगत करायेगें।

१.कायोत्सर्ग- इस विधि द्वारा हम अपने पुर्वजन्म में प्रवेश कर उन सारी बातों को जान सकते हैं। जिनके बारे में हमारी हमेशा से जिज्ञासा रही। इस विधि में अपने नाम के अनुसार मनुष्य को अपनी काया यानी शरीर की चेतना से मुक्त होना पड़ता हैं। कायोत्सर्ग शरीर को स्थिर, शिथिल और तनाव मुक्त करने की प्रक्रिया हैं। इसमें शरीर की चंचलता दूर होकर शरीर स्थिर होने लगता है। शरीर का मोह और सांसारिक बंधन ढीला पड़ने लगता है और शरीर एवं आत्मा के अलग होने का एहसास होता है। इसके बाद व्यक्ति पूर्वजन्म की घटनाओं के बीच पहुंच जाता है।

२.सम्मोहन- भारतीय ऋषियों ने पुर्वजन्म को जानने का सर्वश्रेष्ठ सम्मोहन प्रक्रिया को माना हैं। सम्मोहन की प्रक्रिया में आप गहरी निद्रा में पहुंच जाते हैं और अपने पूर्वजन्म की स्मृतियों को टटोल सकते हैं। इसके लिए आपको किसी शांत कमरे में रह कर अपना पूरा ध्यान दोनों भौहों के मध्य में केन्द्रित करें। आपको चारों ओर अंधेरा दिखेगा और एक गुदगुदी सी महसूस होगी। लेकिन अपना ध्यान केन्द्रित रखें। जिसके बाद अंधेरा छंटने लगेगा और उजाला बढ़ने लगेगा और आप इस शरीर की सीमाओं से पार निकलकर पूर्वजन्म की घटनाओं में झांकने लगेंगे।

Purwa janam.-122

३.अनुप्रेक्षा- इस प्रक्रिया को जैन परंपरा में बताया गया है। कि अनुप्रेक्षा जिसके प्रयोग से व्यक्ति स्वत: सुझाव और बार-बार भावना से पूर्वजन्म की स्मृति में प्रवेश कर जाता है। इस प्रक्रिया में भावधारा निर्मल बनती है। पवित्र चित्त का निर्माण होता है। साधक ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है कि उसे ज्ञात भी नहीं रहता है कि वहां कहां है। अतीत की घटनाओं का अनुचिंतन करते-करते वे स्मृति पटल पर अंकिेत होने लगती है और साधक उनका साक्षात्कार करता हैं।

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
21

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here