आज जानें मकर राशि के जातक का स्वभाव एवं उनके व्यक्तित्व!
मकर राशि(Capricorn)बारह राशियों के समूह में १०वीं स्थान पर हैं। मकर राशी का चिह्न एक बकरी है जिसका निचला हिस्सा जल में मूव करने वाले मगरमच्छ का हैं। इस चिह्न का ऊपरी हिस्सा जो बकरी का लगा हुआ है वो इस राशि की गतिशीलता को दिखाता है जो की इसके स्वामी शनी के ‘मंद’(शनि का एक नाम) या धीमी गति की विशेषता की विपरीत हैं। राशि की जब बात करते हैं तो इसका बतलब है कि आपकी जन्म कुंडली में जहाँ पर भी चन्द्रमा स्थित होता है वो भाव राशी कहलाती है। इस राशि का स्वामी शनि हैं। जिसकी वजह से ये महान अनुशासनशील बनते हैं। इस राशि के जातक जिस भी गतिविधि को चुनते हैं उस क्षेत्र में शीर्र्ष तक पंहुचते हैं। पर अत्यंत सावधानी और दृढ़ दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी व्यक्ति की राशि से उसके स्वभाव और भविष्य के बातें मालूम हो सकती हैं। यहां जानिए मकर राशि की स्त्री, पुरूष और बच्चों की खास बातें…
स्त्री:-
मकर राशि चक्र के सबसे दिलचस्प व्यक्तित्व में से एक है। मकर महिलाएं आत्म विश्वासी, महत्वाकांक्षी, नियमित, जिम्मेदार और विश्वसनीय होती हैं। इस राशि की महिलाएं बड़ी सहनशील होती है, पति और बच्चों से बहुत लगाव रहता है। स्वाभिमानी भी होती है। भौतिकता का आकर्षण भी होता हैं। पति के साथ स्थिति में गुजारा करने की ताकत रहती हैं।
पुरूष:-
इस राशि के पुरूष दृढ़ निश्चयी और महत्वाकांक्षी लोग होते हैं, वे पुरस्कार पाने के लिए शीर्ष पर जाना चाहते हैं। सबसे अच्छे मकर गुणों में से एक यह है कि वह एक बहुत ही व्यवहारिक व्यक्ति हैं। ज्योतिषशास्त्र की मकर राशि में जन्में पुरूष भड़कीले सपनों से ऊपर वास्तविकता पसंद करते हैं। ३२ से ३६ वर्ष के बाद जीवन में स्टेबिलिटी आती है। अपनी पत्नी से इनकी अपेक्षाए बढ़ी-चढ़ी रहती है और इसी के चलते खट-पट बनी रहती है। ये पैसा संभालकर खर्च करते है।
बच्चें:-
इस राशि में जन्में बच्चें मशीनों को संचालन करने में बहुत ही कुशल होते हैं। वहीं तोड़-फोड़ में इनकी रूचि भी होती हैं। इन्हें पुरस्कार-प्रसिद्धि का कोई आकर्षण नहीं रहता है। अगर शनि की दशा सही है तो इन्हें पढ़ाई क्षेत्र में सफलता मिलती हैं। अन्यथा शनि की दशा सही नहीं है तो इन्हें असफलता मिलती हैं।
-: उपाय :-
इस राशि के जातकों को शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में जल देना चाहिए और संध्या बेला में सरसों के तेल का दीपक जला कर पीपल के समीप शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए। और अगर कुंडली में शनि कमजोर है तो काली वस्तू का दान करें। इसके साथ चन्द्र को भी प्रबल बनाने का प्रयास करना चाहिए।