अमावस्या पर भूल से भी न करें ये कार्य!
अमावस्या की रात्रि हमें चन्द्र का दर्शन नहीं होता हैं। अत: इस तिथि के स्वामी पितर देवता होते हैं। इस लिए कहा जाता है कि इस तिथि पर किसी भी प्रकार से शुभ कार्य नहीं किये जाते हैंं। अगर फिर भी किसी कारण वश कोई नया कार्य की शुरूआत करते हैं तो ये निश्चित है कि उसका आपके और आपके कार्य के ऊपर विपरीत असर पड़ेगा। कहा जाता हैं किे इस दिन मजदूर लोग भी अपना काम का अवकाश रखते हैं। इसी क्रम में आज हम आपकों अमावस्या से जुड़ी कुछ कार्य न करने के विषय में अवगत कराऐंगे।
१. किसी का अपमान न करें-
अमावस्या को किसी का अपमान न करें एवं खासकर गरीब का तो भूलकर के भी नहीं करें। अन्यथा शनि के साथ राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।
२.अमावस्या पर बड़ा फैसला न लें-
अमावस्या पर चंद्र का दर्शन न होना और मन का कारक चंद्र का होना। ऐसे में अगर हम किसी भी प्रकार से कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो निश्चित ही हमारा फैसला गलत साबित होगा। और हमें अपने ही गलत फैसलों के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।
३. अमावस्या को संबंध न बनाये-
गरूण पुराण के अनुसार, इस रात्रि को पति और पत्नि को संबंध बनाने से बचना चाहिए। अन्यथा संबंध से उत्पन्न संतान कभी भी खुश नहीं रहती हैं।
४.देर तक सोने से बचें-
अमावस्या के दिन हमें देर तक सोने से बचना चाहिए। बल्कि इस तिथि को जल्दी जागकर स्नानादि कर के भगवान सूर्य को अध्र्य अर्पण करना चाहिए।
५. सुनसान या शमशान जानें से बचेें-
इस तिथि को मान्यता है कि इस रात्रि में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक सक्रीय होता हैं। इस कारण हेतू हमें अमावस्या की रात्रि को सुनसान या श्मशान जानें से बचना चाहिए।
६. बैचेन रहेगा मन-
ज्योतिष में चंद्र को मन का कारक बताया गया हैं। इस तिथि को चंद्र की शक्ति बिल्कुल कम हो जाती हैं। इसलिए ग्रंथो में अमावस्या पर यात्रा करना वर्जित माना गया हैं। इस तिथि को काफी लोग असहज महसूस करते हैं। क्योंकि अमावस्या पर चंद्र का न दिखाई देना, हमारें मन का संतुलन खोना हैं।
७. लड़ाई-झगड़े से बचें-
इस तिथि के स्वामी पितर देवता होते हैं। ऐसें में इस दिन हमें लड़ाई-झगड़ें से बचना चाहिए। अन्यथा पितर देवता के रूष्ट होने से हमें दु:खों का सामना करना पड़ता हैं।