जानें स्त्रियों के सिंदूर लगाने के पिछे छिपा वैज्ञानिक रहस्य?
विवाहिता स्त्री के लिए सिंदूर सबसे अहम और महत्वपूर्ण माना जाता हैं। इसे अपने पति की लंबी आयु के लिए भी धारण किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आखिर मांग में ही सिंदूर क्यों लगाया जाता हैं? और विवाह के बाद इसे लगाना अनिवार्य क्यों होता हैं? हिन्दू धर्म वैदिक परंपरा के अनुसार शादी के बाद सभी स्त्रियों को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक होता हैं। ये हो गयी धर्म से जूड़ी बात। परन्तू अगर हम वैज्ञानिक दृष्टि कोण से देखें तो इसके पिछे एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कारण छूपा हैं। वैज्ञानिको की माने तो मांग में सिंदूर भरने का संबंध स्त्री के पूर्ण शरीर से है। वैज्ञानिको के अनुसार, विवाह के बाद सिंदूर मस्तिष्क के मध्य में भरा जाने के पिछे मस्तिष्क के मध्य भाग में एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है जिसे ब्रहमरंध कहा जाता हैं।
बता दें कि ब्रहमरंध ग्रंथि बेहद सहनशील ग्रंथि होती है। ये ग्रंथि स्त्रि के मस्तिष्क के अगर भाग में शुरू होकर मस्तिष्क के मध्य में खत्म होती है। मस्तिष्क के इसी भाग में स्त्रियां सिंदूर लगाती है। सिंदूर में पारा नाम की एक धातु पायी जाती है। जो ब्रहमरंध ग्रंथि के लिए बहुत ही प्रभावशाली धातु मानी जाती है। माना जाता है पारा नामक यह धातु स्त्रियों के मस्तिष्क के तनाव को कम करती है। कहते है सिंदूर में पायी जाने वाली इसी धातु के कारण स्त्रियों का मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रहता हैं।
इसे सरल भाषा में समझा जाये तो जब लड़कियां का विवाह होता है तो उन पर कई तरह की जिम्मेदारियां और दायित्व आते है। जिनका प्रभाव सीधा उनके मस्तिष्क पर पड़ता है। जिसकी वजह से विवाह के बाद से ही स्त्रियों में सर दर्द और अनिद्रा जैसे समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। सिंदूर में मौजूद पारा एक तरल पदार्थ है जो मस्तिष्क के लिए बेहद फायदेमंद होता हैं। इसीलिए विवाह के बाद हर स्त्री को सिंदूर लगाना अति आवश्यक होता हैं।