यश, सफलता और समृद्धि चाहिए तो करे सूर्य स्तोत्र की स्तुति।

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Surya Stotra.भगवान सूर्य का कल्याणयम स्तोत्र, जो सब स्तुतियों का सारभूत हैं। जिसकी तीनों लोकों में प्रसिद्धि हैं। ऐसा सूर्य स्तोत्र, धन को वृद्धि करने वाला, यश को चारों ओर फैलाने वाला और शरीर को निरोग रखने वाला हैं।

सूर्य स्तोत्र और उनके नियम- सूर्य स्तोत्र को सूर्य उदय और अस्त के दौरान करना चाहिए।

सूर्य स्तोत्र
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥

‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत-

Surya Stotra.-1

‘‘ऐसा करने से सूर्य भगवान भक्त को सभी पापों से मुक्त कर देते हैं। और इसके साथ धन, यश और निरोगता प्रदान करते हैं। इसे जपने से मानसिक, वाचिक, शारीरिक तथा कर्मजनित सब पाप नष्ट हो जाते हैं।’’

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