शिवपुराण: जप करते समय ध्यान रखें ये ४ बाते। । अन्यथा निष्फल हो जायेगा आपका जप।

0
3189
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Jaap kernaभगवान शिव को समर्पित शिवपुराण में देव के प्रति भक्ति और उनकी उपासना से जूड़ी कई बातों को बताया गया हैं। शिवपुराण की मदद से हम अपने भगवान की पूजा-आराधना की विधि और महत्व के संबंध में अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इसी शिवपुराण के वायवीय संहिता नाम के खण्ड में जप करने की सही विधि के बारे वर्णन हैं। शिवपुराण में कुल ४ ऐसे बातों को पूर्ण रूप से वर्जित माना गया हैं। जिसके करने से हमारें द्वारा किया गया भगवान के प्रति जप निष्फल हो जाता हैं। आइये इसी क्रम में आज हम जानेंगे की कौन सी है वे ४ वर्जित नियम-

१.श्रद्धा के बिना किया गया जप- किसी भी देव स्थान पर किया गया जप में अगर भक्त बिना श्रद्धा या किसी के दबाव में जप करता है तो वे जप निष्फल हो जाता हैं। कहा जाता है कि भगवान की कृपा पाने हेतू भक्त को सच्चे मन से एवं बिना किसी के दबाव के जप करना चाहिए। अगर पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ भगवान का जप किया जाए तो भक्त की हर मनोकामना अवश्य पूरी होती हैं।

२.बिना अनुमति लिए किया गया जप- हमेशा किसी भी अनुष्ठान में या किसी भी देव स्थान पर जप करने से पूर्व ब्राह्मण से सही रूप से उसका महत्व, विधि और जप करने की आज्ञा ले लेनी चाहिए। ऐसा न करने से किया गया आपके द्वारा जप निष्फल माना जाता हैें।

३.सही तरीके से न किया गया जप- अगर सही जानकारी लिए बिना हम जप करते है तो उसे निष्फल माना जाता हैं। इसके लिए हमें जप करने की सही विधि एवं एक निश्चित क्रिया के बारे में जान लेना चाहिए। जिसके बाद सुबह स्नानादि करने के पश्चात् भगवान के सामने दीप लगाकर, पूरी क्रिया के साथ जप करना चाहिए। इस तरह से आपके द्वारा किया गया जप सफल माना जाता हैं।

४.जप उपरान्त दक्षिणा या दान न देने पर- शिवपुराण के अनुसार, अगर किये गये जप के बाद दक्षिणा या दान नहीं दिया जाता है तो ऐसे में उस जप को निष्फल माना जाता हैं। इसलिए जप के बाद दक्षिणा और दान अवश्य करें।

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here