सूर्य : सूर्य की प्रतिकूलता दूर करने के लिए रविवार का उपवास रखें। भोजन नमक रहित करें। रविवार को सायंकाल सूर्य संबंधी वस्तुओं-गुड़, गेहूं या तांबे का दान करें। अगर चाहें तो गाय या बछड़े को गुड़-गेहूं खिलाएं। अपने पिताजी की सेवा करें। यह नहीं कर सकें तो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें।
सूर्य के मंत्र–
ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम: ॐ भानवे नम: ॐ आदित्याय नम: ॐ भास्कराय नम:
चंद्रमा : अगर जन्मपत्रिका में चंद्रमा प्रतिकूल चल रहा हो तो सोमवार का उपवास प्रारंभ कर दें। अपनी मां की सेवा करें। सोमवार की शाम किसी युवती को शंख, सफेद वस्त्र, दूध, चावल व चांदी का दान करें। सफेद गाय को सोमवार को सना हुआ आटा खिलाएं या पके हुए चावल में खांड मिलाकर कौओं को खिलाएं। चंद्रमा अगर अशुभ हो तो दूध का प्रयोग न करें।
चन्द्रमा के नाम मंत्र – ॐ सों सोमाय नम:।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।
मंगल : मांगलिक कुंडलियों में दो प्रकार के उपाय मिलते हैं: पहला स्वयं की मांगलिक जन्मपत्रिका में शुभ ग्रहों का केन्द्र में होना, शुक्र द्वितीय भाव में, गुरु मंगल साथ में हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि से मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है। मंगल की प्रतिकूलता से सुरक्षा के लिए मंगलवार का उपवास रखें। अपने छोटे भाई-बहन का विशेष ध्यान रखें। मंगल की वस्तुएं-लाल कपड़ा, गुड़, मसूर की दाल, स्वर्ण, तांबा, तंदूर पर बनी मीठी रोटी का दान करते रहें। आवेश पर सदैव नियंत्रण रखने का प्रयास करें। हिंसक कार्यों से दूर रहें। बहते जल में गुड़ की रेवड़ियां बहाना भी एक अच्छा उपाय है।
मंगल बीज मंत्र है – ॥ ॐ क्रां क्रों क्रौं स: भौमाय नम: ॥
बुध : बुध दोष निवारणार्थ बुधवार का उपवास करें। इस दिन उबले हुए मूंग गरीब व्यक्ति को खिलाएं। गणेश जी की पूजा दूर्वा से करें। हरे वस्त्र, मूंग की दाल का दान बुधवार मध्याह्न करें। बुध के दोष दूर करने के लिए अपने भार के बराबर हरी घास गायों को खिलाएं। बहन-बेटियों का सदैव सम्मान करें। तांबे का सिक्का छेद करके बहते पानी में प्रवाहित करें।
बुध बीज मंत्र – ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
बृहस्पति : देवगुरु बृहस्पति अगर दशावश या गोचरवश प्रतिकूल परिणाम दे रहे हों, तो गुरुवार का उपवास करें। केले की पूजा, पीपल में जल चढ़ाना, गुरुजनों व विद्वान व्यक्तियों का सम्मान करने से भी गुरु की अशुभता दूर होती है।
बृहस्पति मंत्र- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
शुक्र : शुक्र की प्रतिकूलता दूर करने के लिए शुक्रवार का उपवास किसी शुक्ल पक्ष से प्रारंभ करें। फैशन संबंधी वस्तुओं, इत्र, फुलैल, डियोडरैंट इत्यादि का प्रयोग न करें। रेशमी वस्त्र, इत्र, चीनी, देसी कर्पूर, चंदन, सुगंधित तेल इत्यादि का दान किसी ब्राह्मण युवती को दें।
शुक्र ग्रह के मंत्र ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
शनि : शनि के नाम से ही लोग भयभीत हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं में भी शनि ग्रह का प्रभाव अनेक राजा-महाराजाओं पर मिलता है, जबकि वास्तविकता यह है कि सभी की सेवा चाकरी और सदैव आज्ञा पालन करने के लिए बैठा रहने वाला एकमात्र गृह यही है। यह जातक को उसके कर्मों के अनुसार दंड या वैभव प्रदान करता है।
शनि ग्रह के शमन के लिए कच्ची घानी के सरसों के तेल में अपना प्रतिबिम्ब देखें और उसे दान कर दें। बदन पर सरसों के तेल की मालिश करें।
शनि मुख्यतया जप-तप की बजाय दान-दक्षिणा से अधिक प्रसन्न होते हैं। इनके द्वारा प्रदत्त दोष निवारणार्थ शनिवार का उपवास रखें। सुबह पीपल को जल से सीचें व सायंकाल शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। काले वस्त्र व काली उड़द, लौह, तिल, सरसों का तेल, गाय आदि का दान करें।
बीज मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नम:
राहू के लिए : तुला का दान दें या कच्चा कोयला दरिया में बहाएं।
राहु के बीज मंत्र- ॐ रां राहवे नम:।
केतु के लिए : कुत्ते को रोटी खिलाएं।
केतु बीज मंत्र – ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।