वैष्णो देवी मंदिर
जम्मू में बना मां वैष्णो देवी का मंदिर पूरे देश में काफी फेमस है. कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से हर किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है. हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं. माता का ये मंदिर पहाड़ की एक चोटी पर बना हुआ है. जहां पर कई मील की यात्रा करने के बाद ही भक्त माता के दर्शन कर पाते हैं. आज इस रिपोर्ट में हम आपको इस मंदिर की खासियत और वैष्णव माता की कथा के बारे में बताने जा रहे हैं….
इतिहासकारों का कहना है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण करीब 700 साल पहले पंडित श्रीधर ने करवाया था. पंडित श्रीधर माता के बहुत बड़े भक्त थे. यही वजह है कि एक दिन माता उनकी भक्ति से खुश होकर उनके सपने में आईं और बोलीं कि बोली-हे वत्स! तुम माता वैष्णो के निमित्त एक भंडारा करो. इतना कहकर माता अंतर्ध्यान हो गई.
इसके बाद अगली सुबह पंडित श्रीधर ने इस सपने की बात अपने परिवारवालों को बताई और फिर भंडारे का आयोजन किया गया. पंडित श्रीधर बहुत ही गरीब थे, इसलिए वो भंडारे में आई भक्तों की भीड़ को देखकर चिंतित हो गए. कहा जाता है कि उनके इस भंडारे में एक बालिका शामिल थी, जो भक्तों को प्रसाद बांट रही थी.
वहीं जब भक्त बालिका से उनका नाम पूछ रहे थे तो बालिका ने अपना नाम वैष्णवी बताया. जबतक भंडारा चला वैष्णवी वहां मौजूद रहीं और फिर अंतर्ध्यान हो गईं. जब पंडित श्रीधर वैष्णवी से मिलने को व्याकुल हो उठे, तो उन्होंने भक्तों से बालिका के बारे में पूछा-कहां गई वैष्णवी? उस समय किसी ने वैष्णवी की जानकारी नहीं दी.
इसके बाद पंडित श्रीधर कई दिनों तक बालिका वैष्णवी को ढूंढते रहें, लेकिनवो उन्हें कभी नहीं. फिर एक रात पंडित के सपने में आकर उस बालिका वैष्णवी ने बताया कि वो ही माता वैष्णवी है.
सपने में माता ने उन्हें त्रिकूट पर्वत पर स्थित गुफा के बारे में भी बताया. फिर पंडित श्रीधर ने गुफा ढूंढकर माता वैष्णो की पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. उस वक्त से माता वैष्णव की पूजा आज तक जारी है. बता दें कि आज के वक्त में यही गुफा मां वैष्णो देवी का मंदिर कहलाता है.
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