काशी की उत्पत्ति कैसे हुई?
ऋग्वेद में काशी का वर्णन इस प्रकार मिलता है – ‘काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:’। पुराणों के मुताबिक पहले यह भगवान विष्णु की पुरी हुआ करती थी। परन्तु भगवान शिव ने विष्णु जी से यह अपने निवास के लिए मांग लिया था। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। एक बार जब भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्माजी का पांचवां सिर धड़ से अलग कर दिया तो वह सिर उनके करतल से चिपक गया। कहा जाता है कि करीब बारह वर्षों तक भगवान शिव अनेक तीर्थों का भ्रमण करते रहे परन्तु वह उनके करतल ने अलग न हुआ।
इसके बाद भ्रमण करने के दौरान जैसे ही उन्होंने काशी में कदम रखा ब्रह्महत्या का यह दोष खत्म हो गया क्योंकि वह सिर उनके करतल से अलग हो गया। इस घटना के बाद से ही भगवान शिव को काशी अत्यधिक भाने लगी और उन्होंने इसे भगवान विष्णु से इसे अपने रहने के लिए मांग लिया। जिस स्थान पर वह सिर शिव के करतल से अलग हुआ था वह स्थान कपालमोचन-तीर्थ कहलाया।
काशी विश्वनाथ की कहानी क्या है?
काशी विश्वनाथ को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपने आप को सर्वोच्च साबित करने की जंग छिड़ गई। दोनों ही अपने आप को शक्तिशाली साबित करने में लगे हुए थे। इस जंग को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया।
इसके बाद शिव ने ब्रह्मा और विष्णु को इसके स्त्रोत और ऊंचाई का पता लगाने के लिए कहा। उस ज्योतिर्लिंग का पता लगाने के लिए भगवान विष्णु ने शूकर का रूप धारण किया और जमीन के नीचे खुदाई में जुट गए जबकि ब्रह्मा जी हंस पर बैठकर आकाश की तरफ गए। लेकिन दोनों ही इसके स्त्रोत और ऊंचाई का पता लगाने में असमर्थ रहे।
थक-हारकर विष्णु ने शिव जी के सामने हाथ जोड़ लिए और कहा कि वे इसका पता लगाने में असमर्थ रहे। वहीँ दूसरी तरफ ब्रह्मा जी ने झूठ बोला और कहा कि इसकी ऊंचाई उन्हें पता है। इस बात पर भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित हुए और उन्होंने ब्रह्मा जी श्राप दिया। श्राप यह कि आज के बाद ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाएगी।
काशी में कितने शिवलिंग है?
काशी में 12 ज्योतिर्लिंगों के समान माने जाने वाले 12 मंदिर मौजूद हैं। इन मंदिरों में सोमनाथ महादेव मंदिर, ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर, महाकालेश्वर महादेव मंदिर, बैजनाथ महादेव मंदिर, भीमाशंकर महादेव मंदिर, रामेश्वर महादेव मंदिर, नागेश्वर महादेव मंदिर, श्री काशी विश्वनाथ नाथ मंदिर, घृणेश्वर महादेव मंदिर, केदार जी और त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर शामिल है।
काशी में कौन-कौन से मंदिर है?
काशी के प्रमुख मंदिरों की सूची इस प्रकार है :
1. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
2. मृत्युंजय महादेव मन्दिर
3. माँ अन्नपूर्णा मन्दिर
4. विश्वनाथ मन्दिर बी एच यू
5. संकठा मन्दिर
6. तुलसी मानस मन्दिर
7. कालभैरव मन्दिर
8. भारत माता मन्दिर
9. दुर्गा मन्दिर
10. संकटमोचन मन्दिर
काशी के अलावा कौन सी चीजें भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं?
जिस प्रकार काशी भगवान शिव से संबंधित एक पवित्र स्थल माना जाता है, उसी प्रकार नर्मदेश्वर शिवलिंग भी शिव की सबसे प्रिय वस्तु मानी जाती है। शिव के इस प्रिय शिवलिंग को प्राण-प्रतिष्ठा की भी नहीं होती है।
काशी में कुल कितने घाट है?
काशी में कुल 88 घाट हैं इन घाटों में 86 घाटों पर पूजा और समारोह का आयोजन किया जाता है जबकि 2 घाटों का प्रयोग शमशान भूमि के लिए किया जाता है।
काशी में कितने वर्ष रह कर तुलसीदास ने विद्या अध्ययन किया?
काशी में तुसलीदास जी ने शेषसनातन जी के साथ रहकर करीब पन्द्रह वर्ष तक वेद-वेदांग का अध्ययन कर ज्ञान अर्जित किया।
बनारस का पुराना नाम क्या है?
बनारस प्राचीन समय में काशी के नाम से विख्यात था। इस नगरी की सबसे ख़ास बात यह है कि इसे संसार की सबसे प्राचीन नगरी में से एक माना जाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर को किसने बनवाया था?
12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर को महरानी अहिल्या बाई होल्कर ने सन 1780 में बनवाया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 किलो शुद्ध सोने का प्रयोग कर इसे निर्मित करवाया था।
काशी नरेश का क्या नाम था?
डॉ॰ विभूति नारायण सिंह भारत की आज़ादी से पहले के आखिरी नरेश थे।
काशी नरेश की कितनी पुत्रियां थी और उनका क्या नाम था?
काशी नरेश डॉ॰ विभूति नारायण सिंह का एक पुत्र कुंवर अनंत नारायण सिंह और तीन पुत्रियां विष्णु प्रिया, हरि प्रिया एवं कृष्ण प्रिया हैं।
काशी नगरी क्यों प्रसिद्ध है?
काशी नगरी को मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों को श्री हरि के दर्शन प्राप्त नहीं होते वे काशी की ओर रुख करते हैं। इस संबंध में कहावत भी लोकप्रिय है : ‘सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस बिन लेहुँ करवट कासी’।
बनारस में सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौन सा है?
बनारस का सबसे प्रसिद्ध मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर है जहाँ हर रोज़ हज़ारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर का क्या महत्व है?
काशी का हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र स्थान है। काशी मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह नगरी भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर विराजमान है।
काशी विश्वनाथ मंदिर कब तोड़ा गया?
18 अप्रैल सन 1669 को मुग़ल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था।
काशी में कौन सी नदी है?
काशी में पांच नदियों का संगम गंगा घाट पर होता है इन नदियों में गंगा ,जमुना ,सरस्वती ,किरणा और धूतपापा शामिल है।
अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें।
WhatsApp no – 7699171717
Contact no – 9093366666