सार
इस बार तिथियों के घटने और बढ़ने के कारण अमवास्या तिथि 7 और 8 मई को रहेगी। ये तिथि 07 मई को प्रातः 10: 45 से आरंभ होगी और 08 मई को प्रातः 08:45 पर समाप्त होगी। इस अमावस्या को सुतवाई अमावस्या भी कहते हैं।
विस्तार
हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वैशाख अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार वैशाख मास की अमावस्या तिथि को लेकर पंचांग भेद है। इस बार तिथियों के घटने और बढ़ने के कारण समवास्य तिथि 7 और 8 मई को रहेगी। ये तिथि 07 मई को प्रातः 10: 45 से आरंभ होगी और 08 मई को प्रातः 08:45 पर समाप्त होगी। इस अमावस्या को सुतवाई अमावस्या भी कहते हैं। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देवता माने गए हैं। हर महीने की अमावस्या तिथि पर दोपहर में पितरों के लिए विशेष धूप-ध्यान और दान-पुण्य करना चाहिए। पितरों के लिए धूप-ध्यान दोपहर में ही करना चाहिए, क्योंकि सुबह का समय देवी-देवताओं की पूजा के लिए श्रेष्ठ रहता है। ऐसे में वैशाख अमावस्या पर पितृदोष की मुक्ति के उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं
पितृदोष मुक्ति के उपाय
- परिवार के सभी सदस्यों से बारबार मात्र में सिक्के एकत्रित करें और उन्हें मंदिर में दान करें।
- वैशाख अमावस्या पर प्रातःकाल और संध्या के समय घर में पूजा करते समय कपूर जलाएं। इस उपाय को करने से पितृदोष दूर होता है।
- अमावस्या के दिन कौवा, चिड़िया , कुत्ते और गाय को भोजन कराएं।
- अमावस्या के दिन पीपल या बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इसके बाद माथे पर केसर का त इलक लगाएं और श्री हरि विष्णु का जाप करें।
- वैशाख अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को अन्न, नमक, गुड, छाता, सफेद कपड़े आदि दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वैशाख अमावस्या पर जरूर करें ये शुभ काम
- वैशाख अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- वैशाख अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें।
- किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे धूप बत्ती, घी, तेल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई, कुमकुम, गुलाल, भगवान के लिए वस्त्र आदि का दान करें। ।
- संभव हो तो जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल और छाते का दान भी करें।
पितरों को करें धूप दान
पितरों को धूप दान करने के लिए उपले जलाएं और जब उपलों से धुआं निकलना बंद हो जाए तब पितरों का ध्यान करते हुए गुड़ और घी से धूप अर्पित करें। इस प्रक्रिया के दौरान घर के पितरों का ध्यान करते रहना चाहिए। जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से जल चढ़ाना चाहिए।
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