पारद शिवलिंग का महत्व

0
151
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

पारद शिवलिंग का महत्व है की समस्त पापो का नाश करने वाला तथा रोगों से मुक्ति प्रदान करने वाला शिवलिंग है |

पारद शिवलिंग के दर्शन करके स्पर्श करने मात्र से महादेव प्रसन्न हो जाते है |
सांसारिक सुखो की प्राप्ति होती है पारद कहते हैं पारा यानी मरकरी को जो आपको थर्मामीटर के अंदर चमकता हुआ दिखता है।

पारे, चाँदी और जड़ी बूटी को मिलाकर के जो शिवलिंग बनता है, वह पारद शिवलिंग कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है और उनके इस शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है।।
पारद के शिवलिंग यानी पारदेश्वर महादेव जी की पूजा की इतनी महान महिमा पुराणों और उपनिषदों में बताई गयी है |

पारद शिवलिंग की पूजा आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के बराबर पुण्य फल देती है पारद का मतलब पारा से है।
जब इसमें चांदी मिला दी जाती है तो यह पारद कहला जाता है। पारा आपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है। इस समूचे ब्रह्मांड में पारा ही एक ऐसा तत्व है जो धातु है लेकिन तरल  रूप में पाया जाता है।

वहीं जब इसे चांदी के मिला दिया जाता है तो यह ठोस रूप ले लेता है।कहा गया है कि चांदी और पारा से बने पारद शिवलिंग में कई तरह की शक्ति आ जाती है। उदाहरण के तौर पर कहा गया है कि अगर पारद शिवलिंग को बर्फ पर रख दिया जाय तो वह अपने आकार के बराबर बर्फ को सोख लेता है। पारद शिवलिंग समस्त दुखो का नाश करने वाला मानसिक व शारिरिक चिन्ताओ का अंत करने और शांति प्रदान करने वाला बताया गया  है |
जो पुण्यफल हजारो शिवलिंग की पूजा करने से मिलाता है वह पूण्यफल नर्मदेश्वर शिवलिंग और पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है |
पारदशिवलिंग इतना शक्तिशाली शिवलिंग है की अगर पूजा करने वाले उपासक पर कोई संकट आता है तो यह शिवलिंग स्वयं अपने ऊपर ले लेता है और टुट जाता|

पुराणों के अनुसार पारद शिवलिंग का महत्व

भगवान भोले नाथ ने स्वयं माता पार्वती से कहा था, की जो भी उपासक इस पारद शिवलिंग की पूजा-अर्चना करेगा| उस पर मेरी कृपा सदा बनी रहेगी | उसे अकाल मृत्यु, रोग ,दरिद्रस्ता जैसे समस्त दुखो से मुक्ती मिल जाएगी, और उसके मान-सम्मान, यश ,धन एवं एश्वर्य में वृद्धि होगी| अंत में वह सब सुखो को भोग कर वह मोक्ष को प्राप्त करेगा | देवताओ ने भी हनुमानजी को पारद शिवलिंग उपहार में दिया और कहा की शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते है| भगवान विष्णु ने भी शिवलिंग की उपासना करके भगवान शिव से अनेक शक्तिया प्राप्त की और राक्षसों का अंत किया था |

पारद शिवलिंग कैसे बनता है

पारे को रसराज भी कहा जाता है ग्रंथों में बताया गया है कि पारद स्वयं सिद्ध धातु होती है। इसका वर्णन चरक संहिता समेत कई पुराणों में मिलता है। पारा एक तरल धातु है इसका शिवलिंग बनाना बहुत मुश्किल काम है। सबसे पहले पारे को साफ किया जाता है। इसके लिए अष्ट-संस्कार किए जाते हैं। इसके बाद कई औषधियां मिलाकर तरल पारे का बंधन किया जाता है यानी ठोस किया जाता है।

अष्ट संस्कार में करीब 6 महीने लगते हैं। इसके बाद शेष क्रियाओं में 2-3 महीने का समय लग जाता है | तब पारे से शिवलिंग बनकर तैयार होता है पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित किया जाता है जिससे वह ठोस बन जाता है | फिर तत्काल उसका शिवलिंग बना लिया जाता है। यह प्रक्रिया बड़ी ही जटिल रहती है।पारद शिवलिंग के महत्व का वर्णन ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, शिव पुराण, उपनिषद आदि ग्रंथों में किया गया है। रुद्र संहिता में यह विवरण प्राप्त होता है कि रावण रसायन शास्त्र का ज्ञाता और तंत्र-मंत्र का विद्वान था। उसने भी रसराज पारे के शिवलिंग का निर्माण एवं पूजा-उपासना कर शिवजी को प्रसन्न किया था।मान्यता है | अगर पारद शिवलिंग की पूजा की जाये तो जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही यहां तक कहा गया है कि जिस घर में पारद शिवलिंग की पूजा नियमित होती है उस घर में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है।

अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें।

WhatsApp no – 7699171717
Contact no – 9093366666

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here