Kya Pani se Deepak jal sakata hai? Kya Pani apna asitwa badal sakata hai?

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क्या पानी से दीपक जल सकता है? क्या पानी अपना अस्त्वि बदल सकता है?

जो पानी आग बुझाने में काम आता है क्या वो आग को उत्पन्न कर सकता है?

Gadiya-Ghata Mandir

आपने आस्था से जुड़ी कई चमत्कारों के सम्बन्ध में सुना ही होगा। जिसके फलस्वरूप आपकी भक्ति ईश्वर के प्रति और भी बढ़ जाती है। दुनिया में हर देवी-देवताओं से सम्बन्धित कई ऐसी बातें है जों कि चमत्कारों से भरा हुआ होता है। हमलोगों के जहन में एवं बचपन से यही देखा होता है कि देवी-देवता के सामने घी या फिर तेल के दीपक जलायें जाते है। लेकिन आप यह नहीं जानते होगें कि एक ऐसा मंदिर है जहां पर घी व तेल के दीपक नहीं बल्कि पानी से दीपक जलता है। यह बातें आपको हैरत में डाल सकती है। कि ऐसा कैसे हो सकता है। जो आग को बुझा सकती है। वे आग को कैसे जला सकती है।

आज हम आप को इसी बात से रूबरू करायेंगे की ऐसा कहाँ और कैसे यह सम्बभव होता है। लेकिन आपको बता दे कि यह बात सौ प्रतिशत सही है। गड़ियाघाट माताजी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में आपको दीपक जलाने के लिए घी, तेल की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह दीपक केवल सिर्फ पानी मात्र से जल उठता है।
इस मंदिर में होने वाले चमत्कार को देखकर किसी भी व्यक्ति का सिर सहज ही श्रद्धाभाव से झुक जाएगा। मंदिर में होने वाले इस चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते है। और माँ के चरणों में शीश नवाते हैं।Gadiya-Ghata mata ki Pratima

पांच वर्षों से जल रहा है सिर्फ पानी से दीपक-

यह क्रम आज से नहीं बल्कि पिछले वर्षों से चलता चला आ रहा है। तो चलिए जानते है कि आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है। गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से विख्यात यह मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे नलखेड़ा गांव से लगभग १५ किलोमीटर दूर गाड़िया गांव के पास स्थित है। इस मंदिर में पूजन-अर्चन करने वाले पुजारी सिद्धूसिंह जी ने बताया कि पहले माँ के दरबार में हमेशा तेल का दीपक जला करता था। परन्तु आज से लगभग पांच वर्ष पूर्व उन्हें मंदिर की गड़ियाघाट वाली माताजी ने स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर के समीप बह रहीं कालीसिंध नदी के पानी से मंदिर के भीतर मौजूद दीपक जलाने के लिए आदेश दिया। जिसके बाद अगली सुबह उठकर जब उन्होंने कालीसिंध नदी के पानी से दीपक जलाया तो वो जल गया, यह देख पुजारी जी निशब्द हो गयें।
उन्होंने बताया कि तब से आज तक इस मंदिर में कालीसिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है। जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस दीपक में पानी डालने से तरल चिपचिपा हो जाता है। जिसके कारण दीपक लगातार जलता रहता है।

mata-ghadiyaghatबता दें कि इस मंदिर का यह दीपक सिर्फ बरसात के मौसम में नही जलता क्योंकि बरसात के समय कालीसिंध नदी में जल का स्तर बढ़ जाने के कारण ये मंदिर पानी में पूरी तरह से डूब जाता है। जिसके कारण दीपक बंद हो जाता है। इसके बाद इस दीपक की ज्योत को पुन: शारदीय नवरात्र के पहले दिन जला दी जाती है, जो कि अगली बारिश तक जलता रहता है।

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