दुनिया का एकलौता महाश्मशान जहां चिता की आग कभी शांत नहीं होती
कौन सा घाट है जहां मुर्दे से वसुला जाता है टैक्स?
कहाँ पर है ऐसा श्मशान जहाँ मुर्दे की राख के साथ खेली जाती है होली?
कौन सी श्मशान है जहां पूरी रात डांस करती नजर आती है सैक्स वर्कर?
जीवन का सफर बहुत लंबा होता है। अनेक उतार-चढ़ाव, विभिन्न पड़ाव और ना जाने किस-किस परेशानी का सामना कर हमें यह सफर पूरा करना पड़ता है। लेकिन जब यह सफर समाप्त हो जाता है तो शायद उन परेशानियों का कोई मोल नहीं रह जाता, उन उद्देश्यों, उस धन-दौलत का कोई मोह नहीं रह जाता जिसे पाने के लिए इंसान अपना संपूर्ण जीवन लगा देता है। जिसके बाद उसका सिर्फ एक ही मकसद मोक्ष का रह जाता है। जिसके लिए उसकी अन्तिम इच्छा भारत की पवित्र नगरी काशी के गंगानदी के तट पर स्थित मणिकर्णिका घाट पर चिता के माध्यम से मोक्ष की होती है। मणिकर्णिका घाट एक विश्व प्रसिद्ध घाट है।
यहाँ यह मान्यता हैं कि यहाँ जलाया गया शव सीधे मोक्ष को प्राप्त होता है, उसकी आत्मा को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि अधिकांश लोग यही चाहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनका दाह-संस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर ही हो। इस घाट पर पर्यटक हिंदू धर्म के दाह-संस्कार को देखने और रीति-रिवाजों को समझने के लिए बड़ी संख्या में आते है। इस घाट पर महिलाओं का आना वर्जित है।
इस घाट के समिप भगवान गणेश का मंदिर स्थित है और एक स्टोन स्लैब भी बना हुआ है। जिसके बारे में माना जाता है कि यह भगवान विष्णु के चरणपादुका के निशान है। यहां पर हर वर्ग एवं अमिर और दीन लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
कैसे पड़ा इस घाट का नाम मणिकर्णिका घाट-
एक कथा के अनुसार माता पार्वती का कर्ण फूल यहाँ एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूढ़ने का काम भगवान शंकर जी द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकार्णिका नाम पड़ गया। वहीं दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव को अपने भक्तों से छुट्टी ही नहीं मिल पाती थी। देवी पार्वती इससे परेशान हुर्इं और शिवजी को रोके रखने हेतु अपने कान की मणिकर्णिका वहीं छुपा दी और शिवजी से उसे ढूंढ़ने को कहा। शिवजी उसे ढूंढ़ नही पाये और आज तक जिसकी भी अन्त्येष्टि उस घाट पर की जाती है, वे उससे पूछते हैं कि क्या उसने देखी है? जिसके परिणामस्वरूप इस स्थान का नाम मणिकर्णिका घाट माना गया है।
कुछ अनसुनी-कुछ अनदेखी बाते-
आप शायद यकीन ना करें पर इस श्मशान घाट पर आने वाले हर मुर्दे को चिता पर लिटाने से पूर्व उससे बाकायदा टैक्स वसूला जाता है। जो की पिछले तीन हजार सालों से सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के जमाने से चली आ रही पुरानी परंपरा के तहत मुर्दे से कर वसूल किया जाता है। जिसके लिए यहां के डोम प्रजाती के लोग गुप्त तरीके से आस-पास घूमते रहते है जैसी पार्टी वैसी कर वसूली की जाती है। इस श्मशान के बारे में बहुप्रचलित एक बात यह है कि दुनिया का एकलौता श्मशान जहां चिता की आग कभी शांत नहीं होती। जहां लाशों का आना और चिता का जलना कभी नहीं थमता। यहाँ पर एक दिन में औसतन ३०० शवों का अंतिम संस्कार होता है। इसी लिए इस श्मशान को महाश्मशान भी कहा जाता है। इसके अलावा इस घाट की कई अन्य विशेषाताएं है जो भारत के किसी अन्य श्मशान घाट में नहीं है। यहां ऐसी बाते चर्चा में है कि जिस दिन इस घाट पर चिता नही जली वह काशी नगरी के लिए प्रलय का दिन होगा। ऐसी ही दो और विशेषताऐं है पहला,
मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच चिता भस्म से होली खेली जाती है
और दूसरा,
चैत्र नवरात्री अष्टमी को इस घाट पर जलती चिताओं के बीच में मोक्ष की आशा लिए सैक्स वर्कर पूरी रात डांस करती नजर आती है।