नागा साधुओं की बात आतें ही मन में जिज्ञासा का कौतूहल मच जाता है। इनके दुनिया कैसी होती हैं और इनका रहन-सहन कैसा होता हैं। यह सब जानने के लिए मन हमेशा व्याकूल रहता हैं। पर इनकी दुनिया में सिर्फ नागा साधुओं की ही नहीं बल्कि महिला नागा साधुओं की भी जगह रहती हैं। महिला नागा साधुओं की दुनिया भी कम रोचकता से भरी हुई नहीं हैं, बल्कि ये कहना गलत नहीं होगा कि हम में से अधिकतर लोगों को ये बात पता ही नहीं है कि महिला नागा साधुओं का भी अस्तित्व है। पुरूष नागा साधुओं की तरह ही महिला साधुओं(संन्यासिनों) के लिए भी अखाड़े में कुछ नियम बनाए गए हैं। जिनका पालन करना होता हैं। यह नियम भी पुरूष नागा साधुओं के जितने जटिल होते है। तो आइए आज हम आपकों इसी क्रम में बताएगें की महिला नागा साधुओं की दुनिया कैसी होती हैं।
१. पुरूष नागा साधू और स्त्री नागा साधू में सिर्फ एक ही अंतर होता है। कि इन्हें नागा साधू की तरह नग्न नहीं रहना होता है। बल्कि अपने शरीर को पिला वस्त्र से लपेट कर रखना होता हैं। और स्नान करते समय भी वस्त्र पहने रहना पड़ता हैं। यही बात कुम्भ मेले के दौरान स्नान में भी लागू होती हैं।
२. महिला नागा साधू(सन्यासिन) माथे पर तिलक और सिर्फ एक भगवा रंग का चोला धारण करना होता हैं।
३. महिला को नागा साधू बनाने से पहले इनके सिर के पूरे बालों को काट दिया जाता हैं। जिसके बाद इन्हें पवित्र नदी में स्नान करवाया जाता हैं।
४. महिला नागा साधू बनने के लिए अपने गुरू को ६ से १२ साल तक पूर्ण बृह्मचर्य का पालन करते हुए साबित करना होता हैं। जिसके बाद अगर इनके गुरू संतुष्ट हो जाते है तब इन्हें अपने गुरू के द्वारा दीक्षा मिलती हैं।
५. कुम्भ और सिंहस्थ में पुरूष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा साधुओं भी शाही स्नान करती है। इन्हें अखाड़े में पुरूष नागा साधुओं की तरह ही पूरा सम्मान मिलता हैं।
६. सन्यासिन बनने से पूर्व महिला को समाज एवं उसके पिछे छूटे हुए परिवार से वर्तमान और भविष्य में किसी भी तरह का संबंध नहीं होने का प्रमाण देना होता हैं। जिसके साथ-साथ वह सिर्फ भगवान की भक्ति करना चाहती है। इस बात की पुष्टि हो जाने के बाद ही उस महिला को दीक्षा दी जाती हैं।
७. पुरूष नागा साधू की तरह महिला साधू को भी सन्यासिन बनने से पहले खुद का पिंडदान और तर्पण करना होता हैं।
८. जिस अखाड़े से महिला सन्यास की दीक्षा लेना चाहती है, उसके आचार्य महामंडलेष्वर ही उसे दीक्षा देते है।
९. महिला नागा सन्यासिन बनाने से पहले उससे जुड़े उसके घर परिवार और पिछले जीवन की पूर्ण जांच-पड़ताल अखाड़े के साधु-संत करते हैं।
१०. महिला नागा सन्यासिन को दिन भर में ब्रह्म मुहूर्त से पूर्व अपना शयन कक्ष छोड़ देना होता हैं। जिसके बाद नित्य कर्मों को करने के बाद शिवजी का जप करना होता है। फिर उन्हें दोपहर का भोजन मिलता हैं। और फिर से शिवजी का जप करती है। जिसके बाद शाम की बेला में दत्तात्रेय भगवान की पूजन-अर्चन करने के बाद ही अपने शयन कक्ष में जाने की अनुमति होती हैं।
११. महिला नागा साधू बनने की पूरी प्रक्रिया हो जाने के बाद महिला साधू बनी सन्यासिनी को अखाड़े के सभी साधु-संत इन्हें माता कहकर बुलातें हैं।
Jaaniye Mahila Naga Sadhuo ke 11 Choukane wale Rahashaya.
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