काशी में स्थित है माँ कौड़ी देवी का मंदिर, जहाँ दर्शन मात्र से फकीर भी हो जाते है करोड़पति।
एक ऐसा मंदिर जहां माता को फूल और मिष्ठान नहीं चड़ाया जाता है। एक ऐसा मंदिर जहां मंदिर परिसर के अंदर या बाहर कहीं भी पूष्प-माला की एक भी दूकान नहीं मिलती है। जहां माता को धन नहीं चढ़ाया जाता है। जिस शब्द को हम दूसरों के लिए हिन भाव से बोलने या दूखी मन से श्राप देने के लिए प्रयोग में लाते है कि तूम कौड़ी-कौड़ी को मोहताज हो जाओगे। यहां कौड़ी का इस्तेमाल गरीबी से भी नीचे स्तर का दिखाया गया है। इसी कौड़ी के चढ़ावा मात्र से माता शिघ्र प्रसन्न हो जाती है। एवं जिस भक्त द्वारा कौड़ी माता को जढ़ाये गया उस भक्त की मनोकामना के परिणामस्वरूप उसे घन में करोड़पती होने का माता द्वारा वर मिल जाता है।
वाराणसी में ऐसा मंदिर है जो भक्तों को करोड़पति बनाता है। यहां कौड़िया देवी के नाम से प्रसिद्ध माता को कौड़ियां चढ़ाने से इतनी संपत्ति मिलती है कि करोड़पति बनने में देर नहीं लगती। काशी की कौड़िया माता को महालक्ष्मी का रूप माना जाता है।
पुराणों में इसका उल्लेख है-
शिव पुराणों और काशी खंड में कौड़िया देवी माता के बारे में बताया गया है। इस पुराण के अनुसार ”त्रेता युग में भगवान राम के वनवास के दौरान शबरी के कुटीया में पहुंचे लक्ष्मण संग श्रीराम को शबरी ने अपने जूठे बेर खिलाये तो बाद मे उन्हें बहुत पश्चताप हुआ। उन्होंने भगवान श्रीराम से क्षमा याचना की जिसपर भगवान ने शबरी को क्षमा कर दिया एवं वरदान स्वरूप कलियुग में भगवान शिव की नगरी काशी में माता कौड़ीया के नाम से पूजी जाने का वरदान दे दिया। उन्होंने कलियुग में काशी जाने का शबरी को आदेश दिया।” जब कलियुग में शबरी, आज से १३ हजार वर्ष पूर्व दक्षिण भारत से काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आई थीं। तो वहां पर छुदरों की बस्ती में भ्रमण के दौरान उन्हें छुदरों द्वारा छुऐ जाने से उनको अपना अपमान महसूस हुआ। जिससे कई दिनों तक उन्होंने भोजन एवं जल का त्याग कर दिया था। तब माँ अन्नपूर्णा ने उन्हें दर्शन दिए और उनको इसी स्थान पर कौड़ी देवी के रूप में विराजमान कर दिया। माँ ने कहा कि कौड़ी जिसे कोई नहीं मानता तुम उसी रूप में पूजी जाओगी और हर युग में तुम्हारा पूजन एवं जढ़ावे में कौड़ियां देने वाला भक्त धनवान होगा। वहीं दूसरी तरफ माता को काशी विश्वनाथ ने छुआछूत से मुक्त करने के लिए अपनी मानस बहन का दर्जा भी दे दिया।
भक्तो में माता की मान्यता-
कहा जाता है कि कौड़िया देवी को जो श्रद्धालु इस मंदिर में प्रसाद के रूप में पांच कौड़िया दान कर पूजन करता है, उसे धन की कभी कोई कमी नहीं रहती है। पांच में से एक कौड़ी अपने खजाने मे ले जाकर रखना होता है। इसी वजह से मान्यता को लेकर ये तमाम भक्त हाथों में कौड़िया लिए देवी के दरबार में आते है। कई लोग अब तक कौड़ी चढ़ाकर धनवान बन भी चुके हैं। घर में कितनी भी गरीबी हो यदि यहां आकर दर्शन-पूजन भक्त कर लेता है तो उसके सारे दुख कट जाते है। वहीं रामबाड़ के तौर पर अगर भक्त माता के मंदिर में लगातार ११ शुक्रवार ५५ कौड़ियों का प्रसाद चढ़ाता है तो उसकी सारी मानोकामनाऐं शिघ्र पूरी हो जाती है। और भक्त धनवान हो जाता है।
क्यों माता को कौड़ी चढ़ाया जाता है-
ग्रंथों में वर्णित, समुंद्र मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी और कौड़ी दोनों ही एक साथ प्रकट हुई थीं। इसीलिए माँ लक्ष्मी को कौड़ियां विशेष रूप से पसंद है और उनके चढ़ावें में इसका मुख्य स्थान है। इसी लिए उनके पूजन के दौरान भक्तगण माँ को कौड़ियों को चढ़ाता है। एवं माता से धन-संपत्ति की कामना करता है। जो की कौड़ियों वाली माता को लक्ष्मी माँ का स्वरूप माना गया है एवं माता अन्नपूर्णा के वरदान स्वरूप इन्हें कौड़ी चढ़ाया जाता है।
कहाँ है कौड़िया माता का मंदिर?-
कौड़िया माता का मंदिर वाराणसी के खोजवा इलाके के संकटमोचन मंदिर के समीप पर स्थित है, वहां पहुंचने के लिए वाराणसी रेलवे स्टेशन से आप दुर्गा कुंड के लिए ऑटो पकड़ें, फिर आप रिक्शे या पैदल भी कौड़िया माता के मंदिर पहुंच सकते हैं। वाराणसी स्टेशन से कौड़िया माता का मंदिर सिर्फ ६ किलोमीटर दूर है।