Kya Aap janate hai ki Kedarnath ke alawa 4 aur bhi hai Kedarnath, Jise Panch Kedar kaha jata hai.

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क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ के अलावा ४ और भी है केदारनाथ, जिसे पंच केदार कहा जाता हैं!

शास्त्रों में उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम का बड़ा ही महात्म्य बताया गया है। लेकिन अगर यह कहा जाये आपसे कि केदारनाथ एक नहीं पांच है तो आपको विश्वास नहीं होगा। किन्तु यह सच हैं। कि केदारनाथ के अलावा ४ और केदारनाथ है। १.केदारनाथ २.मध्यमेश्वर, ३.तुंगनाथ, ४.रूद्रनाथ और ५.कल्पेश्वर। बता दें कि केदारनाथ के अलावा यह चार स्थान भगवान शिव के केदारनाथ स्थान के ही भाग हैं।

१.केदारनाथ-

Kedarnath_Temple

यह पंचकेदार में मुख्य व प्रथम केदारपीठ हैं। महाभारत में इस केदारनाथ का वर्णन दिया गया हैं। महाभारत के युद्ध के समापन के बाद अपनों का वध करने का ख्याल और पश्चाताप् लिए पांचो पांडव ने वेदव्यास के कहने पर भगवान शिव की उपासना की थी। यहाँ पर महिषरूपधारी भगवान शिव का पृष्ठभाग मंदिर के गर्भगृह में शिलारूप में स्थित है।

कब और कैसे पहुंचे-

अप्रैल से अक्टूबर तक का समय जाने योग होता हैं। और वहाँ जाने के लिए हरिद्वार सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। जिसके बाद आप को सड़क मार्ग का सहारा लेना होता हैं। एयरपोर्ट में सबसे नजदीकी देहरादून का एयरपोर्ट हैं।

घूमने का स्थान-

गंगोत्री ग्लेशियर- यह उत्तर-पश्चिम दिशा में मोटे तौर पर बहती हैं। इसकी लम्बाई २८ किमी लम्बा और ४ किमी चौड़ा है। यह आगे जा कर गाय के मुंह के सामान मुड़ जाती है।
उखीमठ- यहाँ पर देवी उषा, भगवान शिव के मंदिर रूद्रप्रयाग जिले में है।

२.मध्यमेश्वर-

मध्यमेश्वर

इस स्थान को मनमहेश्वर या मदनमहेश्वर भी कहा जाता हैं। पंचकेदार में यह दूसरा माना जाता हैं। यहा ऊषीमठ से १८ मील की दूरी पर है। यहां महिषरूपधारी भगवान शिव की नाभी लिंग रूप में मंदिर के गर्भगृह में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी मधुचंद्र रात्रि यही पर मनाई थी। यहां के जल की कुछ बूंदे ही मोक्ष के लिए पर्याप्त मानी जाती है।

कब और कैसे पहुंचे-

मई से अक्टूबर के मध्य में जाना उपयोेगी है। यहाँ पहुंचने के लिए उखीमठ से देहरादून के हवाई अड्डा की दरम्यान १९६ किमी की दूरी हैं। उखीमठ से उनीअना जाकर, वहां से मध्यमेश्वर की यात्रा की जा सकती है। वहीं उखीमठ से सबसे पास ऋषिकेश का रेलवे स्टेशन है। इसकी दूरी १८१ किमी है। उखीमठ से उनीअना जाकर, वहां से मध्यमेश्वर की यात्रा की जा सकती है। सड़क मार्ग से जाने के लिए दिल्ली से होकर जाना पड़ता है। दिल्ली से पहले उनीअना जाना पड़ता है। वहां से मध्यमेश्वर की दूरी २१ किमी हैं।

घूमने का स्थान-

गउन्धर- यह मध्यमेश्वर गंगा और मरकंगा गंगा का संगम स्थल हैं।
बूढ़ा मध्यमेश्वर- यह मध्यमेश्वर से २ किमी दूर यह दर्शनीय स्थल हैं।
कंचनी ताल- मध्यमेश्वर से १६ किमी दूर कंचनी ताल नामक झील है।

३.तुंगनाथ-

तुंगनाथ-

इसे पंच केदार का तीसरा माना जाता हैं। केदारनाथ के बद्रीनाथ जाते समय रास्ते में यह क्षेत्र पड़ता है। यहां पर भगवान शिव की भुजा शिला रूप में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं पांडवों ने करवाया था। तुंगनाथ शिखर की चढ़ाई उत्तराखंड की यात्रा की सबसे ऊंची चढ़ाई मानी जाती है।

कब और कैसे पहुंचे-

तुंगनाथ जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर के बीच का माना जाता है। हवाई मार्ग के लिए हरिद्वार से ३४ किमी की दूरी पर देहरादून हवाई अड्डा हैं। रेल मार्ग के लिए हरिद्वार का रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक तुंगनाथ के है। सड़क मार्ग के लिए हरिद्वार से जाया जा सकता हैंं।

घूमने का स्थान-

चन्द्रशिला शिखर- तुंगनाथ से २ किमी की ऊचाई पर चन्द्रशिला शिखर स्थित है। यह बहुत ही सुंदर और दर्शनीय पहाड़ी इलाका है।
गुप्तकाशी- रूद्रप्रयाग जिले से १३१९ मी. की ऊचाई पर गुप्तकाशी नामक स्थान है। जहां पर भगवान शिव का विश्वनाथ नामक मंदिर स्थित है।

४.रूद्रनाथ-

रुद्रनाथ

यह पंच केदार में चौथे हैं। यहां पर महिषरूपधारी भगवान शिव का मुख स्थित है। तुंगनाथ से रूद्रनाथ-शिखर दिखाई देता है पर यह एक गुफा में स्थित होने के कारण यहां पहुंचने का मार्ग बेहद दुर्गम है। यहां पहुंचने का एक रास्ता हेलंग(कुम्हारचट्टी) से भी होकर जाता है।

कब और कैसे पहुंचे-

यहां जाने के लिए सबसे अच्छा समय गर्मी और वंसत का मौसम माना जाता है। यहां पहुंंचने के लिए हरिद्वार से देहरादून जॉली ग्रांट हवाई अड्डा की दूरी २५८ किमी की है। यहां तक हवाई मार्ग से पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से रूद्रनाथ की यात्रा की जा सकती है। रेल मार्ग से ऋषिकेश तक पहुंचा जा सकता हैं। उसके बाद सड़क मार्ग की मदद से कल्पेश्वर जा सकते है। सड़क मार्ग से रूद्रनाथ जाने के लिए ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून से कई बसे चलती है।

५.कल्पेश्वर-

कल्पेश्वर

यह पंच का पांचवा क्षेत्र कहा जाता है। यहां पर महिषरूपधारी भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। अलखनन्दार पुल से ६ मील पर जाने पर यह स्थान आता है। इस स्थान से उसगम के नाम से भी जाना जाता है। यहां के गर्भगृह का रास्ता एक प्राकृतिक गुफा से होकर जाता है।

कब और कैसे पहुंचे-

हवाई मार्ग से जोशीमठ, ऋषिकेश से जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून की दूरी २६८किमी की है। यहां से कल्पेश्वर की यात्रा की जा सकती है। रेल मार्ग से ऋषिकेश रेल्वे स्टेशन की देहरादून से ४२ किमी और हरिद्वार से २३.८ किमी की दूरी है। ऋषिकेश तक रेल माध्यम से पहुंचा जा सकता है, उसके बाद सड़क मार्ग की मदद से कल्पेश्वर जा सकते है। सड़क मार्ग द्वारा जोशीमठ ऋषिकेश से आसानी से कल्पेश्वर पहुंचा जा सकता है।

घूमने का स्थान-

जोशीमठ- कल्पेश्वर से कुछ दूरी पर जोशीमठ नामक स्थान है। यहां से चार धाम तीर्थ के लिए भी रास्ता जाता है।

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