Kya Ek Rakhas ke karad Bihar ki Gaya Sthali- Tirth aur Moksha Sthali bani?

0
1358
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
2

क्या एक राक्षस के कारण बिहार की गया स्थली-तीर्थ और मोक्ष स्थली बनी?

Gyaराक्षस ऐसा शब्द जो न कभी समाज का हिस्सा बन सका और न ही किसी शुभ कार्य में हिस्सेदार। लेकिन एक ऐसा राक्षस था। जिससे सारे देवी-देवता और त्रिदेवों हमेशा से खुश रहा करते थें। उसको एक बार देख लेने से मनुष्य के सारे पाप स्वत: ही नष्ट हो जाते थें। और वह मनुष्य मरणोपरांत सिधे-सिधे विष्णुलोक जाने का उत्तराधिकारी बन जाता था। उसी राक्षस के कारण आज के बिहार की गया स्थली एक तीर्थ और मोक्ष दायनी स्थली हुई। सून कर आपको विश्वाश नहीं हो रहा होगा। जहां सारे लोग अपने पुर्वजों का पिण्डदान करने गया जाते है। वह गया एक राक्षस के कारण तीर्थ और मोक्ष दायनी स्थली बनी। कौन था वह राक्षस और क्या था उसका इतिहास। आज हम इसी बात से पर्दा हटाने जा रहे हैं।
बता दें कि बिहार की राजधानी पटना से करीब १०४ किलोमीटर की दूरी पर बसा गया जिला धार्मिक दृष्टि से न की हिन्दूओं के लिए बल्कि बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए आदरणीय है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महात्मा बुद्ध का ज्ञान क्षेत्र मानते हैं जबकि हिन्दू गया को मुक्तिक्षेत्र और मोक्ष प्राप्ति का स्थान मानते हैं। इसलिए हर दिन इस स्थली पर देश से ही नहीं वरन विदेश में बस रहें हिन्दू धर्म के लोग यहां आकर अपने मृत जनों के उद्धार हेतू उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना से श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान करते आसानी से अपकों दिख जायेगें।

पौराणिक वृतांत-

Gyasur

पुराणों के अनुसार गया में गयासुर नामक एक राक्षस रहा करता था। जिसकों ब्रह्मा का वरदान मिला हुआ था। कि कोई भी मनुष्य उसको देखेगा या उसको स्पर्श मात्र कर लेगा, उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। ऐसा मनुष्य सीधे विष्णुलोक जाएगा। इस वरदान के कारण यमलोक सूना होने लगा। इससे यमराज की चिंता बड़ गई कि अब तो पापी भी विष्णुलोक को जाने लगे हैं। इस चिंता को लेकर यमराज ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गये और हो रही घटना से अवगत भी कराया। यमराज की स्थिति को समझते हुए ब्रह्मा जी ने गयासुर से कहा कि तुम परम पवित्र हो इसलिए देवता तुम्हारें पीठ पर बैठकर यज्ञ करना चाहते हैं। यह सूनकर गयासुर इसके लिए तैयार हो गया। गयासुर के पीठ पर सभी देवता और गदा धारण कर विष्णु विराजीत हो गए। गयासुर के शरीर को स्थिर करने के लिए इसकी पीठ पर एक बड़ा सा शिला भी रखा गया था। यह शिला आज प्रेत शिला कहलाता हैं।
Pret Shila
उसके इस समर्पण से खुश होकर भगवान विष्णु ने उस गयासुर को वरदान दिया कि अब से यह स्थान जहां तुम्हारे शरीर पर यज्ञ हुआ है वह गया के नाम से जाना जाएगा। यहां पर पिण्डदान और श्राद्ध करने वाले को पुण्य और पिण्डदान प्राप्त करने वाले को मुक्ति मिल जाएगी एवं उसको विष्णुलोक धाम की प्राप्ति हो जाएगी।

 

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
2

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here