हिंदू धर्मं में हर साल दुर्गा पूजा दो बार मनाने की मान्यता हैं। नवरात्रि के दिनों में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरी श्रद्धा से की जाती है। इस पर्व को पूरे देश में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। बता दें कि देश के कुछ हिस्सों में महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अलग-अलग अंदाज में की जाती है। ऋषि-मुनियों ने इस पर्व को साल में दो भागों में विभाजित किया है एवं इसके साथ ही विशेष तौर पर रात में मनाने की इस पर्व की परंपरा शुरू हुई। ऋषि-मुनियों ने पहला नवरात्रि, विक्रम संवत के पहले दिन यानी चैत्र मास शुक्ल पक्ष की एक से नौ तारीख तक नवरात्रि व्रत, और दूसरा नवरात्रि, छह महीने के बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पहली तारीख से नौ तारीख तक, इसे शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। आश्विन मास में मनाए जाने वाले नवरात्रों में दसवें दिन विजयदशमी यानी दशहरा त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इसका इतिहास को टटोला जाए तो कई रोचक बातों की जानकारी प्राप्त होती हैं। बता दें कि सनातन काल से ही आश्विन मास की पहली तारीख को शारदीय नवरात्र की तारीख निश्चित है। नौ दिनों तक, नौ नक्षत्रों और माँ दुर्गा की नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ पूजा की जाती है। इसके पिछे एक कथा बहुत प्रचलित है ऐसा माना जाता हैं। कि त्रेतायुग में श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने हेतू शारदीय नौ रातो तक माँ दुर्गा की पूजन-अर्चन किये थे। जिसके दसवें दिन लंका पर माँ दुर्गा के आर्शीवाद से विजय की प्राप्ति की थी। जिसके बाद से अब तक माता के नवरात्रि के दसवें दिन धर्म की अधर्म पर जीत, सत्य की असत्य पर जीत के लिए विजय दशमी मनाने का चलन चलता चला आ रहा है।
Kya hai Shardiya Navratri aur Dussehra manane ke pichhe ki Manyataye?
41
41