Kya matra Piramid ke Istemaal se Vastu Dosh ko kiya ja sakta hai Mukt?

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क्या मात्र पिरामिड के इस्तेमाल से वास्तु दोष को किया जा सकता है मुक्त?
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क्या है पिरामिड-

ग्रीक भाषा में पायर का अर्थ है आग और मिड का अर्थ है मध्य। अत: पिरामिड का अर्थ हुआ वह वस्तु जिसके मध्य में आग अर्थात् ऊर्जा हो। यह वह ऊर्जा होती है जो कि शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तुओं को विकारों से सुरक्षित रखती है। पूरे विश्व में सदियों से मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारे, बौद्ध स्थल इत्यादि धर्मस्थलों के ऊपरी हिस्से एक विशेष गुम्बदनुमा आकृति लिए होते है। जो कि पिरामिड का ही एक रूप है। मिश्र देश जहां से विश्व को पिरामिड का ज्ञान मिला। पिरामिड के विशेष भौमितिक आकार के कारण उसके पांचों कोनों(चार बाजू तथा एक शिखर) में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा पैदा होती है जो पिरामिड के अंदर एक तिहाई ऊंचाई पर घनीभूत होती है इस बिंदु को फोकल ज्वाइंट कहते है। कुलमिलाकर यह कहा जा सकता है कि पिरामिड आकृति संचय का श्रेष्ठ उपकरण है। ध्यान व चिकित्सा क्षेत्र में पिरामिड का प्रयोग निश्चित रूप से लाभदायक है

कैसे जाने की आपका घर में वास्तुदोष हैं या नही-

आपके नए घर का वास्तु सही है या गलत, आज हम आपको एक तरीका बताऐंगे जिससे आप खुद पता कर सकते है कि आप का घर में वास्तु दोष है या नही। अगर किसी नवजात शिुश को घर में लाते ही अगर वह रो पड़ता है तो जानना बेहद आसान होगा है कि आपके घर में नाकारात्मक ऊर्जा बहुत ही अधिक या वास्तु दोष है। जो आप के लिए उचित नही है। साथ ही, यदि आप उस घर में अकेले जाने पर अजीब सा महसूस करते हैं, आपका दम घुटने लगता है तो भी घर में वास्तु दोष हो सकता है। आजकल वास्तु दोष निवारण में पिरामिड का अनोखा स्थान है

जाने कौन सा वास्तुदोष हेतू उपयुक्त नही है पिरामिड-

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आजकल वास्तु दोष निवारण में पिरामिड को जादू के पिटारे की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। पिरामिड वास्तु दोष निवारक एवं धन समृद्धिदायक है। इसके लिए पचास-सौ रूपये से लेकर पांच हजार तक के पिरामिड बाजार में उपलब्ध है जैसे लक्ष्मी पिरामिड, मंगल पिरामिड, स्वास्तिक पिरामिड, नवग्रह पिरामिड, वृहत पिरामिड, पिरामिड का लॉकेट, ब्रेसलेट, अंगूठी, शो पीस और पता नहीं कितनी ही अनगिनत वस्तुएं पिरामिड आकृति में मिलने लगी है। जो की ज्यादातर प्लास्टिक की बनी होती है जो किसी प्रकार का ऊर्जा संचार नहीं कर पाती है। ‘‘सच तो यह है कि पिरामिड का सुख समृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है। इसका उपयोग मात्र शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तुओं को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के उपाय से है। ’’

जाने मात्र कैसे पिरामिड के उपयोग से घर को करे वास्तुदोष से मुक्त-

अनजाने में अधिकांश लोग घर का ऐसा निर्माण करा देते है, जिससे उसमें वास्तु त्रुटियां रह जाती है। ऐसे में वास्तु शास्त्र से अनजान लोग वास्तु दोष से पीड़ित होने लगते है। अपने मकान में बिना तोड़-फोड़ किये कुछ ऐसे उपाय बता रहा हूं, जिससे आपके घर में वास्तु दोषों का प्रभाव बहुत हद तक कम पड़ जायेगा। हमारे महान ऋषि-मुनियों ने बिना तोड़-फोड़ किए गंभीर वास्तु दोषों को दूर करने के लिए कुछ सरल व अत्यंत चमत्कारिक उपाय बताए हैं। जो पूर्णत: प्राकर्तिक, ब्रह्मांडीय व पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति तथा सृष्टि की अनमोल धरोहर पिरामिड यंत्र आदि पर आधारित है।
पिरामिड एक विशेष प्रकार की आकृति का नाम है जिसके मध्य में अग्नि का वास है। अंदर से खोखला होने के कारण शुद्ध वायु को अपने अंदर एकत्रित रखता है, जिससे पिरामिड के नीचे वस्तुएं अधिक समय तक सुरक्षित रहती है। किसी दिशा विशेष में दोष होने पर उस दिशा में ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। मनोकामना की पूर्ति एवं तंत्र इत्यादि में धातु व पत्थर के पिरामिड इस्तेमाल किए जाते हैं। किसी भी साधना में ध्यान को एकाग्रचित करने के लिए पिरामिड का प्रयोग किया जाता है। लोहे, एल्यूमिनियम व प्लास्टिक के पिरामिड पूजा में मान्य नहीं है। तांबा, पीतल, पत्थर एवं पंच धातु के पिरामिड अधिक लाभ देते हैं। लकड़ी के पिरामिड भी काफी प्रभावी रहते हैं। विभिन्न प्रकार के वास्तु दोषों में इनका प्रयोग किया जाता है। जैसे-दोषपूर्ण भूखण्ड, गलत दिशा में बने कमरे तथा उनके कोण, पास में बीहड़ या वीरान उपस्थिति, श्मशानादि उदासी बढ़ाने वाले स्थान आदि इन स्थानों से उदासीनता बढ़ाने वाली निगेटिव-अणु तरंगे-मानसिक एवं मस्तिष्क की गड़बड़ियां, असंतुलन निर्माण कर सकती है। इन सभी को दूर करने हेतू पिरामिड कारगर प्रभावशाली उपाय  है।
यह बात तो हम सभी जानते हैं कि पिरामिडीय आकृति से हमारा जीवन निश्चित रूप से प्रभावित होता है। संक्षेप में पिरामिड वास्तु को हम इस प्रकार समझ सकते है कि वास्तु के मूल सिद्धान्तों के अनुसार आपके घर या भूखण्ड में कोई वास्तु दोष है तो उसे पिरामिड यंत्र की सहायता से दूर किया जा सकता है। निश्चित रूप से पिरामिड आकृति, वास्तु और औषधीय विशेषता का अद्वितीय उदाहरण है।

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