नवरात्रि में कन्याओं को किस दिन क्या दान करने से प्रसन्न होती माँ दुर्गा?
शास्त्रों के अनुसार, हिन्दू धर्म में नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा की आराधना की जाती हैं। इस दौरान जिन कन्याओं की उम्र २ से लेकर ५ वर्ष तक की होती हैं, उन्हें साक्षात् देवी माँ का स्वरूप मानी जाती है। जो भी भक्त नियमित रूप से नवरात्रि के नौ दिनों में पूजन और उपाय से कन्याओं को नौ प्रकार के भेट स्वरूप कुछ न कुछ वस्तुएं दें तो इस कर्म से देवी माँ अत्यन्त प्रसन्न होती हैं। और फलस्वरूप भक्त की सभी परेशानियां दूर कर भक्त की हर मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में दी जानी वाली दान-
पहला दिन- इस दिन माता सरस्वती के प्रसन्नता हेतू कन्याओं को सुगंधित और ताजा सफेद पूष्प भेंट में देना शुभ माना जाता हैं। वहीं माता लक्ष्मी को प्रसन्नता हेतू कन्याओं को सुगंधित और ताजा लाल पूष्प भेंट में देना शुभ माना जाता हैं।
दूसरा दिन- स्वास्थ्य और धन संबंधी कामनाएं पूर्ण हेतू कन्याओं को ताजे-मीठें फलों का दान लाभकारी होता है।
तीसरा दिन- इस दिन कन्याओं को स्वादिष्ट मिष्ठान का दान करना चाहिए।
चौथा दिन- इस दिन कन्याओं को आर्कषित वस्त्रों का दान करना चाहिए। अगर धन का अभाव हो तो ऐसे में रूमाल या रंगबिरंगे रिबन का भी दान किया जा सकता हैं।
पांचवा दिन- नवरात्रि के पांचवें दिन देवी माँ से सौभाग्य और संतान संबंधी सुख की प्राप्ति हेतू पांच प्रकार की श्रृंगार सामग्री कन्याओं को दान देना चाहिए।
छठवां दिन- इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को खिलौने का दान हितकारी माना गया हैं।
सातवां दिन- इस दिन भक्त माँ सरस्वती की कृपा पाने हेतू कन्याओं को शिक्षण सामग्री का दान करते हैं।
आठवां दिन- इस दिन आप स्वयं किसी कन्या का पूर्ण शृंगार करें और उसका पूजन करें। इस दिन कन्या के पैरों का पूजन दूध से करें। पैरों पर कुमकुम, चावल और पुष्प अर्पित करना चाहिए। कन्या को भोजन कराएं और सामथ्र्य के अनुसार कोई भेंट भी दें।
नौवां दिन- नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को खीर खिलाएं। दूध और आटे से बनी पूरियां खिलाएं। कन्याओं के पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा पूर्ण होती है। पूर्ण पूजन के बाद कन्याओं को अंत में लाल चुनरी भेंट करें।