पितृपक्ष में किन ७ कार्यों को नहीं करना चाहिए?
पितृपक्ष में माना जाता है कि पितर यानी परिवार में जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनकी आत्मा पितृपक्ष के दौरान अपना लोक छोड़ कर पृथ्वी पर रह रहेंं अपने परिजनों के पास रहती हैं। कहा जाता है कि ऐसे समय हमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इसी क्रम में आज हम आपकों कुल ७ ऐसे कार्य बताने जा रहें जिसे करने से पितर की नराजगी का सामना करना पड़ता हैं।
१.पितृपक्ष में घर में बना सुबह का पहला भोजन स्वयं ग्रहण करने से पूर्व हमें अपने पितरों को देना चाहिए। इसको हम गाय, कुत्ता, बिल्ली और कौआ को दे कर अपने पितरों को भोजन देने का कार्य पूर्ण कर सकते हैं।
२.पितृपक्ष के दौरान आपके द्वार पर किसी भी रूप में कोई भी अतिथि और याचक आए तो उन्हें बिना भोजन पानी दिए नहीं जाने देना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि पितर किसी भी रूप में श्राद्ध मांगने आपके द्वार पर आ सकते हैं।
३.पितृपक्ष में वाहन नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा कहीं भी किसी भी शास्त्र में नहीं दिया गया है। ऐसा हम इसलिए करते है। क्योंकि यह समय शोक व्यक्त करने का होता हैं। न कि भौतिक सुख से आन्दित होने का।
४.पितृपक्ष के दौरान घर में पितर की मौजूदगी होने के कारण हमें ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा करना उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना होता हैं।
५.पितृपक्ष का जब समय चले तो इस दौरान हमें शोक व्यक्त करने हेतू दाढ़ी और मूंछें को नहीं काटना चाहिए। ऐसा करने से बचना चाहिए।
६.पितृपक्ष के दौरान नये घर नहीं लेना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आप उस स्थान से चले जाते है जहां पर आपके परिजन की मृत्यु हुई होती हैं। और उसी स्थान पर पितर के आने पर आपकी मौजूदगी न होने से उन्हें तकलीफ होती हैं। जो हम कभी नहीं चाहते हैं। नये घर लेने से हमारें पितरों को किसी भी प्रकार से कोई भी तकलीफ नहीं होती हैं। बस उनकी यही सोच होती है। कि उनके आने पर आप घर पर हो।
७.पितृपक्ष का समय अपनो का चले जाने का शोक व्यक्त करने का समय होता हैं। इस दौरान हमें स्वर्ण और नए वस्त्रों की खरीदारी करने से बचना चाहिए।