पूजन घर में १० चीजें होना अनिवार्य
हिन्दू धर्म में जन्में लोग का ऐसा कोई घर होगा जिसके यहां पूजा स्थान न हो। घर के निर्माण के समय ही लोग अपने घरों में पूजन स्थल के लिए पहले से ही सोच लेते है। जिसके पिछे का सोच सिर्फ घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि का वास हो। पर कुछ बातोें के अज्ञान्ता के चलते इसका उलटा हो जाता है। सुख-शांति और समृद्धि के स्थान पर घर में कलह और धन की कमी अपना स्थान बना लेती है। इन्ही सभी बातों से बचने के लिए विष्णुपुराण में विस्तार से दिया है। कि घर के पूजा स्थान पर क्या होना चाहिए। आज हम आपको कुल १० चीजों के बारे में अवगत कराऐगें। जिसके होने से आपके घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि का वास रहेगा। आइए जानते है कि कौन सी हैं वो १० चीजें जो हर पूजा घर में जरूर होनी चाहिए।
१. प्रसाद- प्रसाद में मिष्ठान यानि मधुरता होती है। फल, मेवे और मिष्ठान के रूप में पंचामृत के साथ नैवेध चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि इससे घर में बरकत बनी रहती है।
२. गरूड़ घंटी- जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती है। इसलिए घर के पूजा स्थान पर गरूड़ घंटी रखी जाती है।
३. रोली- कुमकुम या रोली हल्दी मिलाकर बनाया जाता है। इसे गंध के रूप में देवताओं को चढ़ाया जाता है। यह आरोग्य को बढ़ाने वाला माना गया हैं
४. पंचामृत- दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल के मिश्रण को पंचामृत कहते हैं। कुछ विद्वान दूध, दही, मधु, घी और गन्ने के रस से बने द्रव्य को पंचामृत कहते हैं। इस सम्मिश्रण में रोग निवारण के गुण होते हैं।
५. धुप- सुगंध से मन में सकारात्मक विचारों का जन्म होता है। इससे घर का वातावरण शु्द्ध और सुगन्धित बनता है। यही कारण है कि भगवान का पूजन धुप के बिना अधूरा माना गया है।
६. आचमनी- छोटे से ताम्बे के लौटे में जल भरकर उसमें तुलसी डालकर हमेशा पूजा स्थल पर रखा जाता है। यह जल आचमन का जल कहलाता है। इस जल को तीन बार ग्रहण किया जाता है। इससे पूजा का दोगुना फल मिलता है।
७. चंदन- चंदन शीतलता का प्रतीक है। इसकी सुगंध से मन के नकारात्मक विचार खत्म होते हैं। चंदन को मूर्ति के सिंगार में उपयोग किया जाता है। माथे पर चंदन लगाने से दिमागी शांति बनी रहती है।
८. फूल- देवी या देवता की मूर्ति के सामने फूल अर्पित किए जाते है। यह सुंदरता का अहसास जगाने के लिए है। इसका अर्थ है कि हम भीतर और बाहर से सुंदर बनें।
९.दीपक- पारम्परिक दीपक मिट्टी का ही होता है। इसमें पांच तत्व हैं मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। कहते है कि इन पांच तत्वों से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। इसलिए हर हिन्दू अनुष्ठान में पंचतत्वों की उपस्तिथि अनिवार्य होती है।
१०. अक्षत- चावल को अक्षत भी कहा जाता है। भगवान को अक्षत अर्पित करने का अर्थ है कि हम अपने वैभव का उपयोग अपने लिए नहीं, बल्कि मानव की सेवा के लिए करेंगे।