साधुआें की रहस्य भरी दुनिया में धुनी का महत्व एवं जुड़ी रोचक सच्चाईयाँ!
साधु एक ऐसा शब्द जो समाज का हिस्सा होते हुए भी नहीं होता हैंं। जो समाज में रहते हुए भी समाज से विरत होता हैं। उनके जाने कितने ऐसे रहस्य होते हैं। जिनके बारे में कई लोग अपरिचीत होते हैं। वे अपनी ही दुनिया में रमें होते हैं। जिनमें एक है साधुओं की धुनी। जो हमेशा से लोगों के आकर्षण एवं जिज्ञासा का केंद्र रहा हैं। माना जाता है कि ये धुनी साधुओं की जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं। आज इसी क्रम में हम आपकों साधुओं की धुनी के बारे में कुछ रोचक तथ्यों से अवगत कराएगें।
१. मान्यता है कि साधु द्वारा जलाई गयी धुनी कोई साधारण चीज नहीं होती है। यह एक विशेष शुभ मुहूर्त एवं सिद्ध किये गये मंत्रो उच्चारण के साथ जलाया जाता है।
२. धुनी जलाने का एक महत्वपूर्ण कानून है जिसके चलते धुनी जलाने के उस समय जलाने वाले का गुरू का वहां पर होना अति आवश्यक होता हैं।
३. साधुओं के कानून के अनुसार, धुनी जलाने वाले साधु की जिम्मेदारी होती है कि उसे हमेशा धुनी के आसपास रहना होता हैं।
४. किसी कारण वश धुनी जलाने वाले साधु का कहीं जाना होता है तो उसे धुनी के पास अपने किसी सेवक या शिष्य की मौजूदगी तय करनी होती है। जिसके बाद ही वह उस स्थान को छोड़ कर जा सकता हैं।
५. धुनी जलाने वाले साधु के पास हमेशा एक चिमटा देखा जाता है। वास्तव में वह चिमटा धुनी की सेवा हेतू उसके पास होता हैं। उस चिमटे से किसी और प्रकार का कार्य नहीं लिया जा सकता हैं।
६. पौराणिक मान्यता के अनुसार, अगर धुनी के पास बैठकर किसी साधु किसी के पक्ष या विपक्ष में कोई बात कह दें या फिर कोई आशीर्वाद या श्राप दे तो उसका वह कथन पत्थर की लकीर हो जाती हैं। अथार्त वह जरूर पूरा होता हैं।
७. साधु में नागा साधु के लिये कहा जाता है कि जब नागा साधु यात्रा में होते है तो तब धुनी नही होती हैं। लेकिन जब वह किसी स्थान पर अपना डेरा लगाते है तब वह अवश्य पहले धुनी जलाते हैं। जिसके बाद दूसरा कार्य में लिप्त होते हैं।