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सफलता प्राप्ति हेतू प्रात: से रात्रि तक उच्चारण करें ये १० मंत्र!
हमारें धर्म में मंत्रों का हमेशा महत्व होता हैं। शास्त्रों में बताऐ गये मंत्रों के नियमित उच्चारण करने मात्र से हमारे रूके हुए कार्य आसानी से सम्पन्न हो जाते हैं। ऋ़षि-मुनियों ने अपने दैनिक जीवन में प्रात: से लेकर रात्रि होने तक एक विशेष १० मंत्रों का क्रम बनाया हैंं। जिसकों निर्वाह कर वे अपना जीवन व्यतित करते रहे हैं। किन्तू आज-कल के दौर में एवं बदलती पीढ़ी की सोच के चलते हैं। इस परंपरा से दूरी बनाते जा रहें हैं। इसलिए आज हम आपके लिए अपने इस लेख में ऋ़षि-मुनियों द्वारा बनाये गये १० मंत्रों का विधान के बारे में बताने जा रहें हैं। जिसे हर एक व्यक्ति को प्रात: जागने से लेकर सोने तक इन १० मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
१.सुबह जागने पर अपनी दोनों हाथों की हथेलियां एक साथ देखकर ये मंत्र उच्चारण करें –
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वति।
करमूले तु गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम् ।।
२.बिस्तर छोड़ने पर जमीन पर पैर रखने से पूर्व उच्चारण करें ये मंत्र-
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे।।
३.दातून करने के पूर्ण उच्चारण करें ये मंत्र-
आयुर्बलं यशो वर्च: प्रजा: पशुवसूनि च।
ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते।।
४.स्नानादि के पूर्व उच्चारण करें ये मंत्र-
स्नान मन्त्र गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरू।।
५.सूर्य को अध्र्य देते वक्त उच्चारण करें ये मंत्र-
ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि
तन्नो सूर्य:प्रचोदयात
६.भोजन के पूर्व उच्चारण करें ये मंत्र-
१.ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।
२.अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति।।
३.ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविब्र्रहमाग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।
७.भोजन के समाप्ति पर उच्चारण करे ये मंत्र-
१.अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम।
भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं।।
२.अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभव:।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्म समुद् भव:।।
८.पढ़ाई के पूर्व उच्चारण करें ये मंत्र-
ॐ श्री सरस्वती शुुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम् ।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम् ।
९.संध्या बेला में पूजा के समय उच्चारण करें ये गायत्री मंत्र-
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।।
१०. रात्रि के शयन के समय उच्चारण करें ये विष्णु शयन मंत्र-
अच्युतं केशवं विष्णुं हरिं सोमं जनार्दनम् ।
हसं नारायणं कृष्णं जपते दु:स्वप्रशान्तये।।
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