भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ हर वर्ष धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन अपनी इच्छा पूर्ण हेतू लोग भगवान श्रीकृष्ण के लिए ब्रत रखते हैं। घरों में लोग श्रीकृष्ण के जन्म एवं उनके जीवन काल में घटीत लीला की झांकी की बड़े आर्कषण रूप में सजाते है और श्रीकृष्ण का प्रिय मिष्ठान को बना कर उनको भोग लगातें हैंं। मंदिरों में रात के १२ बजे उनके जन्म होने एवं जन्म होने के बाद उनका एक झलक पाने के लिए भक्तों में होड़ लगी रहती हैं। ताकी भक्त अपने इष्ट भगवान को अपनी इच्छा बता सके एवं उनकी हर मनोकामनाए पूरी हो सके। इसी क्रम में आज हम आपकों भगवान श्रीकृष्ण का अतिप्रिय १२ ऐसे मंत्र बताने जा रहें हैं जिसका विधिवत जाप करने से न की श्रीकृष्ण जल्द प्रसन्न हो सकते हैं। बल्कि हर तरह के सुख, सौभाग्य, समृद्धि, संपत्ति, सफलता और संपूर्ण सिद्धियों की भी आपकी अभिलाषा पूरी हो सकती है।
१.मूलमंत्र:- ‘‘कृं कृष्णाय नम:’’ यह भगवान श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है। अगर किसी जातक के कुण्डली में किसी तरह का दोष हो या जीवन में कैसी भी बाधाए एवं कष्ट हो तो रोज सुबह नित्यक्रिया व स्नानादि के बाद श्रीकृष्ण के मूलमंत्र का १०८ बार जाप करने से उनके जीवन के सारे कष्ट और बाधाओं का सदैव के लिए नाश हो जाता है।
२.सप्तदशाक्षर श्रीकृष्ण महामंत्र:- ‘‘ॐ श्रीं नम: श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा’’ यह भगवान श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है। अगर किसी जातक को अपने जीवन में सबकुछ पाने की इच्छा हो तो उसके लिए यह मंत्र अत्यन्त लाभकारी होगा। उसके लिए जातक को भगवान श्रीकृष्ण के इस मंत्र को पांच लाख बार जाप करना होगा। जिससे इसके सिद्ध हो जाने के बाद उस साधक को सबकुछ प्राप्त हो सकता है।
३.सात अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र:- ‘‘गोवल्लभाय स्वाहा’’ इस मंत्र का जाप हर प्रकार की सिद्धियों के प्राप्ति के लिए साधक करते है। इस ७ अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जाप जो भी भक्त कर लेता है। उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती हैं।
४.अक्षरों में ८ वाला श्रीकृष्ण मंत्र:- ‘‘गोकुल नाथाय नम:’’ यह श्रीकृष्ण का ८ अक्षरों का मंत्र हैं। इसका रोज सुबह स्नानादि व नित्यक्रिया के बाद जाप करना चाहिए। ऐसा करने वाले जातक की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
५.भगवान श्रीकृष्ण का दशाक्षर मंत्र:- ‘‘क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नम:’’ संपूर्ण सिद्धियों के प्राप्ति हेतू इसका जाप किया जाता हैं।
६.भगवान श्रीकृष्ण का द्ववादशाक्षर मंत्र:- ‘‘ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय’’ यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का (१२)द्ववादशाक्षर मंत्र है। इसको जपने से जातक के कुण्डली में खराब ग्रह भी अच्छे फल देने लगते है और उसको सबकुछ प्राप्त हो सकता है।
७.भगवान श्रीकृष्ण का बाईस अक्षरों का मंत्र:- ‘‘ऐं क्लीं कृष्णाय ह्नीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा हसों’’ यह भगवान श्रीकृष्ण का २२ अक्षरो वाला मंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र को जपता है। उसे वागीशत्व की प्राप्ति हो सकती है। यानी हर तरह की विद्या, कुशलता और बुद्धि मिलती है।
८.तेईस अक्षरों का भगवान श्रीकृष्ण का (२३)मंत्र:- ‘‘ॐ श्रीं ह्नीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्रीं’’ इस मंत्र का जाप करने से साधक की सारी बाधाएं स्वत: समाप्त हो जाती है।
९. भगवान श्रीकृष्ण का २८ अक्षरों का मंत्र:- ‘‘ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा’’ २८ अक्षरों वाला मंत्र का जाप करने से साधक को समस्त अभिष्ट वस्तुएं की प्राप्ति हो सकती है।
१०.उन्तीस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र:- ‘‘लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा’’ इस मंत्र को साधक अगर एक लाख जाप करले और साथ ही घी, शकर तथा शहद में तिल व अक्षत को मिलाकर होम करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति हो सकती हैं।
११.भगवान श्रीकृष्ण का ३२ अक्षरों वाला मंत्र:- ‘‘नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा’’ इस मंत्र का जो भी साधक एक लाख जाप करें और साथ ही पायस, दुग्ध व शकर से निर्मित खीर द्वारा दशांश हवन करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है।
१२. भगवान श्रीकृष्ण का ३३ अक्षरों वाला मंत्र:- ‘‘ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे।।’’ इस मंत्र के जाप करने से साधक को समस्त प्रकार की विद्याएं १०० प्रतिशत प्राप्त होती है।