योगी से सीएम की कुर्सी तक का सफर
संक्षिप्त परिचय
आज योगी आदित्यनाथ से कोई ही अपरचित होगा, नही तो उत्तर प्रदेश के हर बच्चे के जुबां के साथ देश-विदेश में हर कोई के जहन में सिर्फ योगी ही योगी की गुंज सी चल रही हैं। योगी का जीवन का सफर दूसरें लोगों के जीवन की तरह से पृथक रहा हैं। वे जीवन की हर छोटे या बड़े फैसलें में एकेले ही आगे बढ़ते ही चले है। और जब भी पिछे मुड़ कर देखा तो उनके फैसलें मेंं लोगोंं का कारवां बढ़ता चला गया। आज उनके कदम से कदम एवं उनके कारवां में यूपी के हर एक नागरिक अपना कदम से कदम मिलाने की होड़ सी है। आज योगी आदित्यनाथ जी यूपी के हर वर्ग एवं हर उम्र के लोगों के आइडल बन चुके है। उनके जीवन से जुड़ी एवं उनके जीवन में योगी बनने से यूपी के सीएम की कुर्सी तक के सफर में हर एक छोटी सी छोटी पहलू से हम आप को अवगत एवं रूबरू करायेगें।
बता दें कि हिंदुत्व की शान और पूर्वांचल का शेर के नाम से मशहूर ४४ वर्ष की आयु के योगी आदित्यनाथ का जन्म सन् १९७२ में जून के ५वीं तारीख को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूड़ गाँव के गढ़वाली राजपूत परिवार मेंं हुआ था। उनका मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट, फॉरेस्ट रेंजर थे, तथा इनकी मां का नाम सावित्री देवी है। उनके माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें थे एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं। वे भारतीय राजनीती में कट्टर हिंदुत्व की पहचान माने जाते है। सन् १९७७, में इन्होंने टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व १९८७ में यहाँ से दसवीं की परीक्षा पास की। इन्होंने १९८९ में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की।
१९९० में गे्रजुएशन की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। सन् १९९२ में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की परीक्षा पास की। कोटद्वार में रहने के दौरान इनके कमरे से सामान चोरी हो गया था जिसमें इनके सनत प्रमाण पत्र भी थे। इस कारण से गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर करने का इनका प्रयास असफल रह गया। इसके बाद इन्होेंने ऋषिकेश में पुन: विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मन्दिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया। १९९३ में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरू गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आ गयें थे जो इनके पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचिति थे।
अंतत: ये मंहत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता मेंं जकड़ा हुआ था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल ५ संवत् २०५० तदनुसार १५ फरवरी सन् १९९४ की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठधीश्वर मंहत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।
१९९४ में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी के आदित्यनाथ हो गया।
वे नाथ संप्रदाय से है और नाथ संप्रदाय का मानना है कि सन्यासी को देश, धर्म और राजनीती में जरूर हिस्सा लेना चाहिए। योगी का कथन है कि ‘‘एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला’’ उनके इस कथन से ही उनके शशक्त चरित्र का आभास होता है।
योगी आदित्यनाथ को १२ सितंबर २०१४ को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद उन्हें यहाँ का महंत बनाया गया। २ दिन बाद उन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।
अवैद्यनाथ ने १९९८ मेंं राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से उनकी राजनीतिक पारी शुरू हुई है। उनका राजनैतिक जीवन में सबसे पहले १९९८ में गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल २६ वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा(१९९८-९९) के सबसे युवा सांसद थे। २००४ में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। २००९ में ये २ लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। २०१४ में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। २०१४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में १२ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। २०१७ में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया।
ऐसे बढ़ा उनका कद-उनका समाज में इतना कद बढ़ गया था कि जहां वो खड़े होते, वहां सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकोंं के लिए वो कानून हो जाता है यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्यौहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी जी मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिंदुओं के त्यौहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके मेंं योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू यवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी मेंं भी उनकी जबरदस्त धाक है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया था।
योगी ऐसे राजनीति में आए-इनका सम्बन्ध भारतीय जनता पार्टी के साथ रिश्ता एक दशक से पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश मेंं अच्छा खासा प्रभाव रखते हैंं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त, महन्त अवैद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से १९९१ तथा १९९६ का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। योगी आदित्यनाथ का लोकसभा चुनावों में अतुलनीय प्रदर्शन रहा है। सबसे पहले १९९८ मेंं गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया और वे १९९९, २००४, २००९ तथा २०१४ में सांसद चुने गए। इन्होेंंने अप्रैल २००२ में हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। वे हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओंं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हैं।
योगी आदित्यनाथ ने रविवार, १९ मार्च २०१७ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। शपथ समारोह लखनऊ के कांशीराम स्मृति भवन में हुआ। इनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री भी बनाये गए हैं। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार दो उप-मुख्यमंत्री बने हैं। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल थे। मंच पर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह भी मौजूद रहे।