वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 9 ग्रहों का अपना स्वभाव और गुण होता है, जो उन्हीं के अनुसार फल प्रदान करते हैं। वैदिक ज्योतिष में शु्क्र ग्रह को सुख,संपदा और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह को वृष और तुला राशि का स्वामी माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में शु्क्र मजबूत भाव में बैठे होते हैं उन्हें सभी तरह की सुख समृद्धि और ऐशोआराम की सुविधा उनके जीवन में प्राप्त होती है। शु्क्र ग्रह के कुंडली में उच्च स्थिति में होने पर व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से कष्ट नहीं झेलने पड़ते हैं। आइए जानते हैं कुंडली में शुक्र ग्रह के कमजोर और बली होने के लक्षण और कुछ ज्योतिषीय उपाय…
कुंडली में कमजोर शुक्र का जातकों पर प्रभाव
अगर किसी जातक की कुंडली में शु्क्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है।
कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है। भोग विलासिता में उसका मन नहीं लगता।
कुंडली में शु्क्र ग्रह के कमजोर होने पर यौन सुख नहीं प्राप्त होता है। इसके अलावा वह बीमारियों से भी घिरा रहता है।
जातक की कुंडली में शु्क्र ग्रह कमजोर होने पर वह सुखी वैवाहिक जीवन और संतान सुख से वंचित रहता है।
कुंडली में मजबूत शुक्र का जातकों पर प्रभाव
जिन जातकों की कुंडली में शु्क्र ग्रह का प्रभाव सकारात्मक रहता है यानी शुक्र ग्रह बली होते हैं वे बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं।
शुक्र ग्रह के कुंडली में मजबूत होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास ऊंचा होता है और वह सभी लोगों में काफी लोकप्रिय होता है।
ऐसे जातक समाज में काफी ख्याति और मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।
जब भौतिक सुखों में वृद्धि होने लगे तो यह शुक्र के शुभ संकेत हैं।
व्यक्ति को किसी कार्य में अचानक से लगातार सफलताएं मिलने प्रारंभ होने लगे तो समझिए यह मजबूत शुक्र के संकेत हैं।
जब व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधाओं और मान-सम्मान में वृद्धि होने लगे तो कुंडली में शुक्र मजबूत मजबूत होता है।
कुंडली में शुक्र ग्रह के मजबूत होने पर व्यक्ति कला और मनोरंजन के क्षेत्र में सफलताएं प्राप्त करता है।
कमजोर शुक्र को मजबूत करने के उपाय
सप्ताह के प्रत्येक शुक्रवार को व्रत रखें और सफेद वस्तु जैसे दूध,मोती,दही,चीनी,आटा और दूध,घी आदि का दान करें।
शुं शुक्राय नम: या शुं शुक्राय नम:” का कम से कम 108 बार जाप करें।
गाय को रोज सुबह रोटी खिलाएं।
कभी भी महिलाओं का अपमान न करें।