कुंडली में कई योग बनते है, जो जातक को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभावों से अवगत कराते है। उन्ही में से एक प्रेम विवाह का योग, जो जातक की कुंडली में बनने से व्यक्ति के प्रेम विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है। और यह योग ग्रहों की युति, परिवर्तन, गोचर, संयोजन आदि के कारण बनता है,कुंडली में प्रेम विवाह योग बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 5वां और 7वां भाव होता है। इसके अलावा, ज्योतिष में विवाह योग के संकेतों की जांच के लिए 8वें या 11वें भाव का विश्लेषण भी किया जाता है। यह योग जातक के लिए सकारात्मक होता है, क्योंकि जब यह योग जातक की कुंडली में बनता है, तो वह अपने पंसदीदा व्यक्ति के साथ विवाह कर सकता है और अपने साथी के साथ एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है
कुंडली में प्रेम विवाह का योग कई ग्रहों के कारण बनता है।
शुक्र ग्रह – शुक्र ग्रह प्रेम का प्रतीक माना जाता है। वहीं यह ग्रह स्त्री ऊर्जा का भी प्रतीक है। इसी के साथ यह ग्रह जातक के प्रेम जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। कामुकता, आकर्षण और सामाजिक आकर्षण सभी इस ग्रह द्वारा नियंत्रित होते हैं। इसके अलावा, शुक्र की स्थिति और ग्रहों स्वामियों के साथ तालमेल प्रेम विवाह का संकेत देता है।
मंगल ग्रह – मंगल उत्साह, आकांक्षाओं, गतिविधियों, जोश, यौन, बहादुरी और मुखरता का ग्रह है। इसकी उपस्थिति बताती है कि आप भविष्य में अपने प्रयासों को कहां और कैसे केंद्रित करेंगे। साथ ही यह पता लगाया जा सकता है कि आप कितने आक्रामक और प्रतिस्पर्धी होंगे। प्रेम विवाह ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह आपके प्रेम हितों और झुकाव को निर्धारित करता है। इसके कुंडली में अनुकूल स्थिति में नहीं होने पर मंगल दोष का कारण बनता है। कुंडली मिलान के दौरान, यह दोष पति-पत्नी के बीच बाधाओं, तर्क-वितर्क का कारण बन सकता है। मंगल और शुक्र ग्रह एक साथ होने से प्रेम विवाह की संभावना कम हो जाती है।
राहु ग्रह – राहु कुख्यात शक्तियों वाला ग्रह है। प्रेम विवाह के संबंध में ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए इसका स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। कुंडली में राहु का 7वें भाव से संबंध गैर-पारंपरिक संघों का कारण बनता है। यदि लग्न में राहु हो और सप्तम भाव पर बृहस्पति की दृष्टि हो, तो जातक प्रेम विवाह कर सकता है।
चंद्रमा ग्रह-चंद्रमा वैदिक ज्योतिष में आपकी बुद्धि का प्रतीक है। कुंडली में चंद्रमा के नकारात्मक स्थान के परिणामस्वरूप तनाव, आत्मघाती विचार और निराशावादी दृष्टिकोण होता है। अगर चंद्रमा अनुकूल है, तो व्यक्ति खुशी, उत्साह और मन की शांति का आनंद लेता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह पर विचार करते समय पुरुष की कुंडली में चंद्रमा एक प्रमुख कारक होता है। वहीं शक्तिशाली चंद्रमा पुरुष को एक सुंदर स्त्री प्रदान करता है। चंद्रमा द्वारा शनि की दृष्टि विवाह में देरी उत्पन्न करती है।
बुध ग्रह -बुध को संचार का ग्रह कहा जाता है। इसमें युवा जीवन शक्ति है और ये विपरीत लिंग के लोगों के साथ मित्रता की सुविधा प्रदान करता है। इसी के कारण यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि बुध आपकी जन्म कुंडली में कहां स्थित है। यदि आप उस व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं, जिससे आप प्यार करते हैं, तो बुध-शुक्र की युति 5वें या 7वें भाव में आपकी मदद कर सकती है