तांत्रिक क्रियाओं के लिए जाना जाता है यह हिन्दु तीर्थ, ये रहस्य जानकर हैरान हो जाएंगे आप

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यह है मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी, तब भगवान शिव ने माता सती का जला हुआ शरीर लेकर पूरे संसार में भ्रमण किया, जिसके कारण उनका क्रोध बढ़ता ही जा रहा था। तब स्थिति को संभालने के लिए श्रीहरि ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के पार्थिव शरीर के अंग काटना शुरू किए और धरती पर जिन 52 स्थानों पर देवी सती के श्रीअंग गिरे, वहीं पर 52 शक्तिपीठों की स्थापना की गई। मान्यता है कि नीलांचल पर्वत पर माता की योनि गिरी थी, जिसके कारण यहां कामाख्या देवी शक्तिपीठ की स्थापना की गई। ऐसी मान्यता है कि माता की योनि नीचे गिरकर एक विग्रह में परिवर्तित हो गई थी, जो आज भी मंदिर में विराजमान है और इससे आज भी माता की वह प्रतिमा रजस्वला होती है।

इसे माना जाता है महा शक्ति पीठ
मंदिर धर्म पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस शक्तिपीठ का नाम कामाख्या इसलिए पड़ा क्योंकि इस जगह भगवान शिव का मां सती के प्रति मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे, जहां पर यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया और इस जगह माता की योनी गिरी थी, जो आज बहुत ही शक्तिशाली पीठ है। इसलिए इसे महाशक्ति पीठ भी कहा जाता है। यहां वैसे तो सालभर ही भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन, दुर्गा पूजा, पोहान बिया, दुर्गादेऊल, वसंती पूजा, मदानदेऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर का अलग ही महत्व है जिसके कारण इन दिनों में यहां लाखों की संख्या में भक्तपहुचते हैं।

किए जाते हैं अनुष्ठान
कामाख्या देवी मंदिर में होने वाले अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा है पशु बलि। यहां मान्यता है कि देवी कामाख्या को प्रसन्न करना है तो बकरे और भैंसों की बलि देनी होगी। लेकिन किसी भी मादा जानवर की बलि यहां नहीं दी जाती है।

की जाती है वशीकरण पूजा
यहां वशीकरण पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि वशीकरण आकर्षण की पूजा है, मूल रूप से पूजा एक सही इच्छा के साथ की जाती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य होता है कि पति-पत्नी का रिश्ता बचा रहे। कामाख्या में वशीकरण दो लोगों के विचारों को एक जैसा बनाना है और उन्हें मानसिक रूप से सहज बनाने के उद्देश्य से ही वशीकरण की यह पूजा की जाती है। ताकि दंपति एक बेहतर जीवन व्यतीत कर सकें।

अनुष्ठान में लगत जाते हैं 4-5 घंटे
इस पूजा और हवन में कुल 4 से 5 घंटे का समय लगता है। काला जादू दूर करने के बाद भक्त ऐसी चीजें घर पर ले जा सकते हैं, जैसे कामिया सिंदूर, प्रसाद के साथ पूजा टोकरी, नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा के लिए एक ताबीज और पूजा के दौरान रखा जाने वाला रुद्राक्ष।

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