मां सती के 51 शक्तिपीठों की कहानी, कहां गिरा कौन सा अंग, आज किस नाम से होती है पूजा?

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मां सती के शरीर के हिस्से धरती पर जहां-जहां गिरे उस स्थान को आज शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. आइए जानते हैं मां सती के इन 51 शक्तिपीठों की कहानी.

माता के भक्तों के लिए नवरात्रि के पर्व का बहुत ही खास महत्व होता है. इस समय 9 दिनों तक माता के 9 रूपों की अराधना कर भक्ता मां को प्रसन्न करते हैं. हिंदू धर्म में जैसे चार धाम की यात्रा, भगवान शंकर के 12 ज्योर्तिलिंगो का दर्शन का महत्व है, वैसे ही मां सती के 51 शक्तिपीठों का भी वैसा ही उल्लेख मिलता है. देवी पुराण के मुताबिक, मां सती के 51 शक्तिपीठ भारत में ही नहीं आस पास के देशों में भी मौजूद हैं. शक्तिपीठ के निर्माण की कहानी पुराणों में उल्लेखित है, जिसका रिश्ता भगवान शंकर, मां सती, उनके पिता दक्ष प्रजापति और भगवान विष्णु से है.

कैसे हुआ शक्तिपीठों का निर्माण

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर की पत्नी मां सती के पिता दक्ष प्रजापति एक बार एक महायज्ञ कर रहे थे, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया था, लेकिन भगवान शंकर से नाराजगी के कारण उन्हें बुलावा नहीं भेजा था. मां सती ने अपने पिता से जब इस बारे में सवाल किया तो, उन्होंने भगवान शंकर को लेकर अपशब्द भी कहे, इस बात से क्रोधित होकर मां सती ने उसी यज्ञ कुण्ड में अपने प्राणों का आहुति दे दी. 

भगवान शिव को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगें. भगवान शिव के क्रोध भरे तांडव पर पृथ्वी पर प्रलय का खतना बढ़ने लगा, जिसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया. मां सती के शरीर के हिस्से धरती पर जहां गिरे, वहां एक शक्तिपीठ की स्थापना हुई. ऐसे कुल 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ.

कहां स्थित हैं मां सती के ये 51 शक्तिपीठ

1. बायां हाथ

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला के पास अजेय नदी तट पर मां सती का बायां हाथ गिरा है, जहां मां को देवी बाहुला के नाम से पूजा जाता है.

2. दायीं कलाई

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला के पास उज्जनि में मां सती की दायीं कलाई गिरी, जहां मां को मंगल चंद्रिका नाम से पूजा जाता है.

3. बायां पैर

पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी में मां का बायां पैर गिरा है, जहां मां सती को भ्रामरी नाम से पूजा जाता है.

4. दायें पैर का अगूंठा

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला के पास खीरग्राम में मां सती के दाएं पैर का अगूंठा गिरा था. जहां मां सती को जुगाड्या नाम से पूजा जाता है. 

5. बाएं पैर का अगूंठा

पश्चिम बंगाल के कोलकाता के कालीघाट स्थित कालीपीठ में मां के बाएं पैर का अगूंठा गिरा, जहां उन्हें कालिका नाम से पूजा जाता है.

6. अस्थि

पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिला में मां सती की अस्थियां गिरी, जहां उन्हें देवगर्भ नाम से पूजा जाता है.

7. बायीं एड़ी

पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिला में मां सती की बायीं एड़ी गिरी थी, जहां उन्हें कपालिनी नाम से पूजा जाता है.

8. ओष्ठ 

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में ही मां सती के ओष्ठ भी गिरे हैं, जहां उन्हें फुल्लरा नाम से पूजा जाता है.

9. गले का हार

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में ही मां सती के गले का हार भी गिरा है, जहां उन्हें नंदिनी नाम से पूजा जाता है.

10. भ्रूण

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में मां सती का भ्रूण भी गिरा है, जहां उन्हें महिषमर्दिनी नाम से पूजा जाता है.

11. पैर की हड्डी

पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में मां के पैर की हड्डी गिरी, जहां उन्हें कालिका देवी नाम से पूजा जाता है.

12. दाया स्कंध

पश्चिम बंगाल में रत्नाकर नदी के पास मां का दायां स्कंध गिरा, जहां उन्हें कुमारी नाम से पूजा जाता है.

13. नासिका

बांग्लादेश में शिकारपुर में स्थित बरिसल में मां के नाक गिरे हैं. यहां मां को सुनंदा नाम से पूजा जाता है.

14. दायीं भुजा

बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिला में छत्राल के चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर मां की दायीं भुजा गिरी है, जहां मां सती को भवानी नाम से पूजा जाता है.

15. बायां जंघा

बांग्लादेश के जयंतिया परगना, सिल्हैट में मां सती की बायीं जंघा गिरी, जहां उन्हें जयंती नाम से पूजा जाता है.

16. मुकुट

बांग्लादेश के मुर्शिदाबाद जिला में मां के माथे का मुकुट गिरा, जहां उन्हें विमला नाम से पूजा जाता है.

17. गला

बांग्लादेश के जैनपुर गांव, सिल्हैट में मां का गला गिरा, जहां उन्हें महालक्ष्मी नाम से पूजा जाता है.

18. हाथ और पैर

बांग्लादेश के खुलना जिले में मां सती के हाथ और पैर गिरे हैं, जहां उन्हें यशोरेश्वरी नाम से पूजा जाता है.

19. बायां पायल

बांग्लादेश के भवानीपुर गांव में मां सती की बायां पायल गिरी थी, जहां उन्हें अर्पण नाम से पूजा जाता है.

20. हाथ की अंगुली

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में प्रयाग संगम में मां सती के हाथ की अंगुली गिरी, जहां उन्हें ललिता नाम से पूजा जाता है.

21. मणिकर्णिका

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मां की कान की मणि गिरी, जहां उन्हें विशालाक्षी या मणकर्णी नाम से पूजा जाता है.

22. दायां वक्ष

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट रामगिरी में मां सती का दायां वक्ष गिरा है, जहां उन्हें शिवानी नाम से पूजा जाता है.

23. चूड़ामणि

उत्तर प्रदेश के वृंदावन में मां सती के केश गुच्छा या चूड़ामणि गिरी, जहां उन्हें उमा नाम से पूजा जाता है.

24. पीठ

तमिलनाडु के भद्रकाली मंदिर में मां सती की पीठ गिरी थी, जहां उन्हें श्रावणी नाम से पूजा जाता है.

25. एड़ी

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मां सती की एड़ी गिरी, जहां उन्हें सावित्री नाम से पूजा जाता है.

26. दो पहुंचियां

राजस्थान के अजमेर में गायत्री पर्वत पर मां सती की दो पहुंचिया गिरी, जहां उन्हें गायत्री नाम से पूजा जाता है.

27. बायां नितंब

मध्य प्रदेश के सोन नदी तट पर अमरकंटक में मां सती का बायां नितंब गिरा, जहां उन्हें काली नाम से पूजा जाता है.

28. दायां नितंब

मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी तट पर अमरकंटक में मां सती का दायां नितंब गिरा, जहां उन्हें नर्मदा नाम से पूजा जाता है.

29. ऊपरी दाड़

तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवंतपुरम मार्ग में मां सती की ऊपरी दाड़ गिरी थी, जहां उन्हें नारायणी नाम से पूजा जाता है.

30. निचला दाड़

पंचसागर में मां सती का निचला दाड़ गिरा था, जहां उन्हें वाराही नाम से पूजा जाता है.

31. दायां पायल

आंध्र प्रदेश के कुरनूल श्रीशैलम में मां सती का दायां पायल गिरा था, जहां उन्हें श्री सुंदरी नाम से पूजा जाता है.

32. अमाशय

गुजरात के जूनागढ़ जिले में सोमनाथ मंदिर के पास मां का अमाशय गिरा, जहां उन्हें चंद्रभागा नाम से पूजा जाता है.

33. ऊपरी ओष्ठ

मध्य प्रदेश के उज्जयिनी में क्षिप्रा नदी तट पर मां सती का ऊपरी ओष्ठ गिरा था, जहां उन्हें अवंति नाम से पूजा जाता है.

34. ठोड़ी

महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी घाटी में मां सती की ठोड़ी गिरी थी, जहां उन्हें भ्रामरी नाम से पूजा जाता है.

35. गाल

आंध्र प्रदेश के कोटिलिंग्शेवर मंदिर में मां सती का गाल गिरा था, जहां उन्हें राकिनी नाम से पूजा जाता है.

36. बायें पैर की अंगुली

राजस्थान के भरतपुर में मां सती के बायें पैर की अंगुली गिरी, जहां उन्हें अंबि नाम से पूजा जाता है.

37. दोनों घुटनें

नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास गुजयेश्वरी मंदिर में मां सती के दोनों घुटनें गिरे हैं. यहां मां का महाशिरा नाम से पूजा जाता है.

38. मस्तक

नेपाल के पोखरा में गण्डकी नदी के तट पर मुक्तिनाथ मंदिर में मां सती का मस्तक गिरा है. यहां मां को गंडकी चंडी के नाम से पूजा जाता है.

39. बायां स्कंध

भारत नेपाल बॉर्डर पर जनरपुर रेलवे स्टेशन के पास मां सती का बायां स्कंध गिरा, जहां उन्हें उमा नाम से पूजा जाता है.

40. दोनों कान

कर्नाटक में एक अज्ञात स्थान पर मां सती के दोनों कान गिरे, मा सती के इस रूप को जयदुर्गा नाम से पूजा जाता है.

41. ब्रह्मरंध (सर का ऊपरी भाग)

हिंगलाज शक्तिपीठ में मां सती के सर का ऊपरी भाग गिरा है. यहां मां को कोट्टरी नाम से पूजा जाता है.

42. आंख

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थित नैना देवी मंदिर में मां के आंख गिरे हैं. यहां मां को महिष मर्दिनी नाम से पूजा जाता है.

43. जीभ

हिमाचल के कांगड़ा स्थित ज्वाला जी में मां सती की जीभ गिरी है. यहां मां सती को अंबिका नाम से पूजा जाता है.

44. गला

मां सती का गला कश्मीर के पहलगाम स्थित अमरनाथ में गिरा है, यहां मां को महामाया नाम से पूजा जाता है.

45. बांया वक्ष

पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब में मां का दायां वक्ष गिरा है. यहां मां को त्रिपुरमालिनी नाम से पूजा जाता है.

46. ह्रदय

गुजरात के अंबाजी मंदिर में मां सती का ह्रदय गिरा है. यहां मां को अंबाजी नाम से पूजा जाता है.

47. दायां हाथ 

तिब्बत के पास कैलाश पर्वत, मानसरोवर में मां सती का दायां हाथ गिरा है, जहां मां को दाक्षायनी नाम से पूजा जाता है.

48. नाभि

उड़ीसा में भुवनेश्वर के पास बिराज में मां की नाभि गिरी है, जहां मां सती को विमला नाम से पूजा जाता है. 

49. दायां पैर

त्रिपुरा के माताबढ़ी पर्वत शिखर के उदरपुर में मां सती का दायां पैर गिरा था. यहां मां को त्रिपुर सुंदरी के नाम से पूजा जाता है.

50. योनि

असम के गुवाहाटी के कामगिरी में कामाख्या मंदिर में मां सती की योनि गिरी थी, जहां मां को कामाख्या नाम से पूजा जाता है.

51. पायल

श्रीलंका में एक अज्ञात स्थान पर मां के पैर की पायल गिरी है, जहां उन्हें इंद्रक्षी नाम से पूजा जाता है.

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