8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए करें ये उपाय

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सार

शास्त्रों में भी स्नान करते समय सप्त नदियों, गंगा, यमुना, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी को याद करने का विधान है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही आरोग्य और समृद्धि भी मिलती है।

अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

विस्तार

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यदि इस दिन सोमवार पड़ता है तो इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या सोमवार 8 अप्रैल को है। अमावस्या तिथि पर साल का पहला सूर्यग्रहण होगा। हालांकि, यह भारत में अदृश्य रहेगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को प्रातः 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि उस रात 11 बजकर 50 मिनट तक मान्य होगी। नारद पुराण में चैत्र मास की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन कुछ धार्मिक उपाय करने से प्राणी के जीवन में सुख-शांति आती है।

पवित्र नदियों में स्न्नान

शास्त्रों में भी स्नान करते समय सप्त नदियों, गंगा, यमुना, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी को याद करने का विधान है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही आरोग्य और समृद्धि भी मिलती है। स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर विधिवत स्न्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। यदि आप नदियों में स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें। मान्यता यह भी है कि इस दिन विधिवत स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें

भगवान सूर्य की पूजा शास्त्रों में बहुत ही कल्याणकारी मानी गई है। मान्यता है सूर्य पूजा से शरीर और मन के अंदर की नकारात्मकता का अंत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए हर जातक को रोज सुबह उठकर भगवान सूर्य की उपासना अवश्य करनी चाहिए। इससे जीवन में धन-वैभव और यश सदैव बना रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य को जल देने से पूर्व जन्म और इस जन्म के सभी पापों से मुक्ति और भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त होती है।

पीपल की पूजा

पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अतः सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। माना जाता है कि अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है। इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

दान

इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गरीबों, साधु,महात्मा तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए और उन्हें जरूरत के वस्त्र  दान करने चाहिए। स्नान- दान आदि के अलावा इस दिन पितरों का तर्पण करने से परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है।

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