ये हैं ५ ऐसे शिवलिंग जो लगातार बढ़ रहे हैं
शिव, एक ऐसा नाम जिसमें ब्राह्माण्ड समाया हुआ है। पूरे विश्व में इनके करोड़ों शिवलिंग मौजूद है। और सभी भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी कर रहें है। भगवान भोलेनाथ के हर शिवलिंग का कुछ ना कुछ महत्व एवं उसका अपना इतिहास है। चाहे वो शिव द्वारा स्वयं स्थापित किया गया उनका १२ ज्योर्तिंलिंग हो या उनके किसी भक्त द्वारा स्थापित किया गया शिवलिंग हो। आज हम आपकों इन्हीं में से ५ शिवलिंग के चमत्कारों के बारे में बताने जा रहें है। जिसके बारे में आप ने कभी भी नहीं सूना होगा। ये वो ५ शिवलिंग है जो प्राकृतिक रूप से लगातार अपने आकार में बढ़ रहा है। इसके संबंध में वैज्ञानिकों ने कई बार शोध किया पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके कि आखीर कैसे ये शिवलिंग का आकार अपने आप बढ़ रहा है। यह विषय विज्ञान के लिए अभी तक रहस्य बना हुआ है। आइये जानते है कहाँ है ऐसे ५ शिवलिंग-
१. भूतेश्वर महादेव शिवलिंग –
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से तकरीबन ९० किलोमीटर की दूरी पर स्थित गरियाबंद जिले में स्थित हैं भूतेश्वर महादेव शिवलिंग। इसकी उत्पत्ति प्राकृतिक तौर पर हुई है, इस शिवलिंग को अर्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार यह शिवलिंग हर साल तकरीबन ६-८ इंच बढ़ जाता है।
२. मतंगेश्वर शिवलिंग –
खजुराहो स्थित मतंगेश्वर शिवलिंग की ऊंचाई इस समय १८ फीट है। इसके बारे में मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने भी यहां पर आकर अपने आराध्य: शिव के इस शिवलिंग की पूजा की थी। कहा जाता है कि यह शिवलिंग हर साल तिल के आकार में बढ़ रहा है।
३. मृदेश्वर महादेव –
गुजरात के गोधरा में स्थित हैं मृदेश्वर महादेव। माना जाता है कि इस शिवलिंग का बढ़ता आकार प्रलय का संकेत है। जिस दिन यह शिवलिंग साढ़े ८ फीट का होकर मंदिर की छत को छू लेगा उस दिन महाप्रलय हो जाएगी।
४. तिल भांडेश्वर शिवलिंग –
मोक्षदायिनी माँ गंगा व बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी से लगभग ३० किलोमिटर की दुरी पर चंदौली जिले के माटी गांव में स्थित सैकड़ो वर्षों पुराना बाबा तिल भांडेश्वर शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि ये सतयुग में प्रकट हुए हैं। माना जाता है कि कलयुग शुरू होने से पहले यह शिवलिंग प्रतिदिन तिल के बराबर बढ़ता था। लेकिन कलयुग के आगमन पर लोगों को यह चिंता सताने लगी कि यह इसी आकार में हर दिन बढ़ता रहा तो पूरी दुनिया इस शिवलिंग में समा जाएगी। जिसपर भगवान भोलेनाथ ने दर्शन देते हुए केवल मकर संक्रांति पर इसके बढ़ने का वचन दिया। जिसपर अब हर साल में मकर संक्रांति पर यह शिवलिंग तिल के बराबर बढ़ता है।
५. पौड़ीवाला शिव मंदिर –
हिमाचल प्रदेश में नाहन से करीब ८ किलोमिटर की दूरी पर पौड़ीवाला शिव मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना लंकाधिपति रावण ने की थी। इसे स्वर्ग की दूसरी पौड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में विराजित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह हर साल शिवरात्री पर एक जौ के दाने के बराबर बढ़ता है। भक्तों को मानना है कि इस शिवलिंग में भगवान भोलेनाथ स्वयं विराजते हैं।