कितने दानों की रूद्राक्ष माला को शरीर के किस अंग में धारण करें?
रूद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आँखों के जलबिंदु से हुई है। रूद्राक्ष शिव का पृथ्वी वाशीयों के लिए सभी दुखों से छुटकारा पाने का एक मात्र साधन एवं वरदान है। जिसे भगवान शिव ने संसार के भौतिक दुखों को दूर करने के लिए प्रकट किया था। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसी क्रम में आज हम आपकों श्रीमद देवीभागवत में वर्णित कुछ ऐसी बातों से रूबरू कराएंगें जिससे कितनी दानों वाली रूद्राक्ष की माला को शरीर के किस अंग में पहनने से हमें कितना एवं क्या फल मिलता हैं। आइये जानते है।
१.श्रीमद देवीभागवत के अनुसार १६ दानों वाली माला कों भुजाओं पर, २१ दानों वाली माला को कलाई(मणिबंध) और १०८ दानों वाली माला को गले में धारण करें तो हमें इसका विशेष फल मिलता है एवं जातक की हर मनोंकामनाएं पूर्ण होती है।
२.श्रीमद देवीभागवत के अनुसार ५० दानों की माला को ह्य्दय पर और २० दानों की माला को सिर पर धारण करने से इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
३.शिवपुराण में बताया गया है कि रूद्राक्ष जो की भगवान शिव के आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसके सामान दुनिया में कोई और फल और माला नहीं है। अगर हम इसको अपने शरीर पर धारण करें, पूजा करें और इससे जप करे तो हमारी सारी मनोकामनाएं सिघ्र पूर्ण होती है।
४.श्रीमद देवीभागवत के अनुसार अगर हम अपने गले में रूद्राक्ष की १०८ दानों की माला को धारण करते है तो ऐसे में हमें अशवमेध यज्ञ के सामान फल की प्राप्ति होती है। वहीं किसी अन्य माला के स्थान पर १०८ दानों वाली रूद्राक्ष से बनी माला से किया गया जाप अन्य माला से किये गये जाप का १० गुना ज्यादा फलदायी होता हैं।