चलिए जानते हैं गुजरात में मौजूद द्वारकाधीश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

0
195
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

आज इस लेख में हम आपको गुजरात में मौजूद पवित्र मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं, जिसे शायद आप भी नहीं जानते होंगे। 

गुजरात में गोमती नदी के तट पर मौजूद द्वारकाधीश मंदिर गुजरात का सबसे पवित्र मंदिर है। भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर गुजरात के साथ-साथ भारत के सबसे पवित्र, भव्य और सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। द्वारका शहर में स्थित यह मंदिर अपने आप में एक पवित्र धाम है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन और इसके आसपास घूमने के लिए आते है। इस मंदिर का नाम तो लगभग हर कोई जानता है, लेकिन इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक और पौराणिक तथ्य के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। आज इस लेख में हम आपको द्वारकाधीश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं, जिसे शायद आप भी नहीं जानते होंगे। तो चलिए जानते हैं।

मंदिर का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर लगभग 2 हज़ार 2 सौ साल पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कृष्ण काल में व्रजभान ने करवाया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि व्रजभान को भगवान कृष्ण जी का पड़पोता माना जाता है। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि यह स्थान ‘हरि गृह’ यानि भगवान कृष्ण जी का निवास स्थल हुआ करता था, जिसे बाद में मंदिर के रूप में बनाया गया।

मंदिर के अन्य नाम

द्वारकाधीश मंदिर को कई नामों से जाना जाता है। इस मंदिर को कोई ‘कृष्ण मंदिर’, कोई ‘द्वारिका मंदिर’ तो कोई ‘हरि मंदिर’ के नाम से पुकारता है, लेकिन इस मंदिर को द्वारकाधीश मंदिर के बाद सबसे अधिक ‘जगत मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को ‘निज मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण द्वारा समुद्र से प्राप्त भूमि के एक टुकड़े पर इस शहर को बनाया गया था, जहां आप मंदिर मौजूद है।(गुजरात के मुख्य धार्मिक स्थल)

मंदिर की वास्तुकला

द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण बेहद ही भव्य तरीके से किया गया है। कहा जाता है कि इस का मिर्माण चालुक्य शैली में निर्मित किया गया, जिसमें चूना पत्थर और रेत का इस्तेमाल किया गया है, जो भारत की प्राचीनतम शैली को दर्शाता है। यह भी कहा जाता है कि यह मंदिर एक पत्थर के टुकड़े पर बना हुआ है। पांच मंजिला यह मंदिर 72 स्तंभों पर बना हुआ है, जो किसी भी अद्भुत से कम नहीं है।

सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक है ध्वज

इस मंदिर के चोटी पर एक ध्वज लहराता है, जिसे भक्त सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक मानते हैं। कहा जाता है कि इस ध्वज की ऊंचाई लगभग 75 फिट है। ये भी कहा जाता है कि मंदिर के ध्वज को दिनभर में कम से कम पांच बार बदला जाता है, लेकिन प्रतिक वही रहता है। लोगों का मानना है कि यह प्रतिक भगवान श्री कृष्ण जी का है। कहा जाता है कि जब भी ध्वज को नीचे उतारा जाता है, तो भक्त उसे छूने के लिए उत्साहित रहते हैं।

प्रवेश द्वार की मान्यता

इस मंदिर में मौजूद दो द्वार को बेहद भी महत्पूर्ण माना जाता है। एक द्वार उत्तर दिशा की ओर मौजूद है, जिसे ‘मोक्ष द्वार’ के नाम से जाना जाता है। दूसरा द्वार दक्षिण दिशा की ओर है जिसे ‘स्वर्ग द्वार’ भी कहा जाता है। दक्षिण द्वार से होते हुए आप गोमती नदी के किनारे भी जा सकते हैं।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें, और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

अपनी जन्म पत्रिका पे जानकारी/सुझाव के लिए सम्पर्क करें

WhatsApp no – 7699171717
Contact no – 9093366666

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here