कौन सी धातु के बर्तन लाभदायक है और नुकसानदेह है?
हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के पोषक तत्वो से युक्त भोजन को ग्रहण करते है। ताकि हमारे शरीर को जरूरी विटामिन और खनिज लवण मिल सके और हमारे शरीर में किसी तरह की व्याधि उत्पन्न न हो।
कुछ फल-सब्जियों को हम कच्चा ही खा सकते हैं किन्तु दालों, अनाजो और कुछ फल-सब्जियों को पकाकर ही खाया जा सकता है। उस पदार्थ में विद्यमान पोषक तत्व हमारे शरीर को ज्यो के त्यों मिल सके इसके लिए सही बर्तन का चुनाव आवश्यक है क्योंकि हम जिस धातु के बर्तन में खाना बनाते हैं उस धातु के गुण भोजन में खुद ही आ जाते हैं।
इसी क्रम में आज हम आपकों बताएंगे कि किस धातु के बर्तन में खाना पकाने से पोषक तत्व नष्ट नही होते और कौन सी धातु खाना पकाते समय हानिकारक रसायन उत्पन्न करती है जिससे हमारे शरीर में रोग उत्पन्न हो सकते है।
एल्मुनियम के बर्तन- एल्मुनियम के बर्तन भारतीय रसोई में खास जगह रखते है। यह धातु विद्युत की सुचालक है और सस्ती भी है। यह बोक्साईट धातु से बना होता है। इसमें खाना पकाने पर यह भोजन में से आयरन और कैल्शियम को सोख लेता है इसलिए एल्मुनियम धातु के उपयोग से बचना चाहिए। इसके लगातार उपयोग से लिवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुुुंच सकती है और हड्डियां कमजोर हो सकती है। एल्मुनियम के उपयोग से किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, वात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती है जिनका जड़ से इलाज नहीं हो पाता। भारतीयों को रोगी बनाकर मारने के लिए ही अंग्रेज जेल के कैदी को इसमें खाना परोसा करते थे ताकि धीरे-धीरे उनको मौत के मुँह में धकेल सके। विडम्बना की बात है कि अब तो हम किसी के गुलाम भी नही है फिर भी एल्मुनियम के बर्तन को रसोई में रखते है।
कांच के बर्तन- कांच का बर्तन ऊष्मा का अच्छा सुचालक नही है, इसलिए भोजन पकाने में इसका इस्तेमाल नही किया जाता क्योंकि अधिक ताप पर इसके टूटने का डर बना रहता है। कांच का बर्तन खाद्य पदार्थोंं में पाए जाने वाले लवण, अम्ल और क्षार आदि से क्रिया नही करता इसलिए भोजन परोसने मे इसका प्रयोग सर्वोत्तम है।
तांबे के बर्तन- तांबे के बर्तन में लैड होता है जोकि भोजन से क्रिया करके विषैले रसायन पैदा कर सकता है। खट्टे खाद्य पदार्थों के लिए तो यह धातु वर्जित है। कई प्रकार के रोग हो सकते है। किन्तु तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना अत्यंत गुणकारी होता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से रक्त शुद्ध होता है, लीवर संबंधी समस्या दूर करता है और तांबे के पात्र का पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है, इसलिए तांबे में रखा पानी शरीर के लिए लाभकारी होता है। तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
मिट्टी के बर्तन- मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने एवं खाने से शरीर के कई तरह के रोगों से मुक्ति मिल जाती है एवं शरीर स्वस्थ हो जाता है। आयुर्वेंद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए मिट्टी के बर्तन सबसे उपयुक्त है। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे सौ प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
पानी पीने के पात्र के विषय में ‘‘भावप्रकाश ग्रंथ’ में लिखा है—
जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम् ।
पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत् ।
काचेन रचितं तद्वत् वैडूर्यसम्भवम् ।
अर्थात् पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैडूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।
पीतल के बर्तन- यह धातु ऊष्मा की अच्छी सुचालक है और सामान्य कीमत की धातु है, इसमें खाना पकाने से कफ और वायुदोष की बिमारी नहीं होती किन्तु यह धातु नमक और अम्ल से क्रिया करके हानिकारक रसायन बना सकती है, अत: इसका उपयोग टिन से कोटिंग करके करना चाहिए जिसे कलई कहते हैंं। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
स्टेलनेस स्टील के बर्तन- भारतीय रसोई में स्टेनलेस स्टील का सर्वप्रथम स्थान है। स्टेनलेस स्टील लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल से मिलकर बनी एक मिश्रित धातु है। यह धातु भोजन के अम्ल या क्षार से कोई क्रिया नही करती। इसमें भोजन पकाने से न कोई नुकसान होता है न ही फायदा। इसलिए स्टेनलेस स्टील खाना पकाने के लिए सस्ती, सुरक्षित और अच्छी धातु है।
नॉनस्टिक बर्तन- आजकल नॉनस्टिक बर्तन काफी मांग में है क्योंकि इसमें खाना चिपकता नही है और तेल या घी की मात्रा भी कम लगती है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से गुणकारी है। किन्तु इस पर चढ़ी परत के खराब होने या स्क्रेच आ जाने पर खतरनाक रसायन निकलते है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकते है।
लोहे के बर्तन- लोहे के बर्तन में खाना पकाने से लोहे के गुण खाने में आ जाते है जिससे हमारे शरीर को लोह तत्व की प्राप्ति होती है। अनीमिया के रोगी के लिए तो यह बहुत ही गुणकारी है। लोहे के बर्तन में खाना पकाने से खून का निर्माण होता है, पीलिया रोग दूर हो जाता है और शरीर में सूजन नही आती। यह धातुु अम्ल से क्रिया करती है जिससे लोहतत्व खाने में मिल जाते हैं जोकि हमारे लिए लाभकारी होते है। लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।
चाँदी के बर्तन- चाँदी एक शीतल धातु है, जो शरीर के आंतरिक शीतलता पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखें स्वस्थ रहती है, आँखों की रोशनी बढ़ती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता हैै।
सोना के बर्तन- यह एक गर्म धातु होता है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से मजबूत, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ-साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ाता है।