क्या होता है मंत्र साधना एवं किन-किन बातों का रखें ध्यान?
हम सभी अपने धर्म से जूड़ी कई बातों को जानते है जैसे की पूजा-पाठ, देवालय एवं देवी-देवताओं के बारे में। वहीं इन सभी से जुड़ने और अपनी मनोकामनाए पूर्ण कराने हेतू साधक व पंडित कई मंत्रों का जाप करते है। पर कभी हमने यह जानने का प्रयत्न नहीं किया कि मंत्रों से क्या लाभ मिलता है और कब मिलता है एवं मंत्रों के जाप को किस विधि से करना चाहिए तथा इनको सिद्ध करने में किन बातो का ध्यान रखना चाहिए, इन सभी बातो से हम अनभिग्य होते है। आज हम आपको इन सभी बातों से एवं इनसे जुड़े रहस्यों से रूबरू करा रहे हैं।
कितने प्रकार के होते हैं मंत्र?-
पुराणों में तीन प्रकार के मंत्रों के बारे में उल्लेख है। पहला वैदिक, दुसरा तांत्रिक और तीसरा शाबर मंत्र। इन तीनों में कौने सी पद्धति में मंत्रों के जाप करना चाहिए इसके लिए हमें पहले यह तय करना होगा कि किस तरह के मंत्र को जपने का संकल्प लेना हैं। बता दें कि वैदिक पद्धति में मंत्रों का जाप करने से सबसे अधिक देर में मंत्र सिद्ध होता है, तांत्रिक मंत्र में थोड़ा समय लगता है और शाबर मंत्र बहुत जल्द सिद्ध हो जाते हैं। लेकिन एक बात ध्यान देने की है कि इन सब पद्धति में वैदिक मंत्र सिद्ध हो जाने के बाद उसका असर कभी खत्म नहीं होता है।
किस तरह करने चाहिए मंत्रों का जाप?-
मंत्रों के जाप करने में भी तीन तरह का विधान है। जिसमें पहला वाचिक जप, दुसरा मानस जप और तीसरा उपाशु जप। बता दें कि वाचिक जप में साधक को ऊंचे स्वर में स्पष्ट शब्दों में मंत्रों का उच्चारण करता है, मानस जप– पहले तो इसका अर्थ जान लिजिये की मानस का क्या मतलब होता हैं। मानस मतलब ‘‘मन ही मन’’। अथार्त इस पद्धति में साधक को मन ही मन में मंत्रों का जाप करना चाहिए और तीसरा उपांशु जप– इस जप का अर्थ है जिसमें जप करने वाले साधक की जीभ या होठ हिलते हुए दिखाई देते हैं परन्तु आवाज नहीं सुनाई देती। बिल्कुल धीमी स्वर में जप करना ही उपांशु जप कहलाता हैं।
किस प्रकार के होते है मंत्र नियम?-
सर्वप्रथम साधक को ध्यान देना होता है कि मंत्र साधना के समय, मंत्रों का सही उच्चारण होना एवं दूसरी बात की जिस मंत्र का जप हो और अनुष्ठान हो, उसका अध्र्य पहले से ही जान ले लेना चाहिए। मंत्र सिद्धि में एक बात का विशेष ध्यान देने वाली है कि मंत्र के सिद्ध हो जाने तक मंत्र को गुप्त रखा जाए, मंत्र-साधक के बारे में यह बात किसी को पता न चले कि वो किस मंत्र का जप करता है या कर रहा है। यदि मंत्र जाप के समय कोई पास में है तो मानसिक जप करना चाहिए। और इसकी सिद्धि के लिए रोजाना मंत्रों का जाप हो। तभी मंत्र सिद्ध हो सकता है। सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण के समय(ग्रहण आरम्भ से समाप्ति तक) किसी भी नदी में खड़े होकर जप करे तो इसमें किया गया जप शीघ्र लाभदायक होता है। इसके बाद साधक को जप का दशांश हवन करना चाहिए। और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। वैसे तो यह सत्य है कि प्रतिदिन के जप से ही मंत्र सिद्ध होता है परंतु ग्रहण काल में जप करने से कई सौ गुना अधिक फल मिलता है।
क्या हैं मंत्र को सिद्ध करने का विज्ञान?-
मंत्र को सिद्धि के लिए पवित्रता और नियमों का पालन जरूरी है। बता दें कि अगर आप अभिचार कर्म के लिए मंत्र का जाप करते है तो आपको वाचिक रीति से मंत्र को जपना चाहिए, शांति एवं पुष्टि कर्म के लिए उपांशु और मोक्ष पाने के लिए मानस रीति से मंत्र जपना चाहिए।