क्या माला के १०८ मनके से सृष्टि का रहस्य जाना जा सकता है?
क्या पूरी सृष्टि माला के १०८ मनके में समाहित है?
क्या ज्योतिष से कोई संबंध हैं माला के १०८ का होना?
क्या माला का १०८ मनके से सूर्य की पूरे वर्ष की चाल पता की जा सकती है?
हमारे हिन्दू धर्म में पूजन-विधान के दौरान मंत्र जाप हेतू माला का प्रयोग का खास महत्व बताया गया है। वहीं सिर्फ १०८ वाले दाने के माला का प्रयोग का ही वर्णन किया गया है। परन्तु क्या कभी आप ने सोचा है कि हमें सिर्फ १०८ वाले दाने के माला से ही मंत्र जाप क्यों करना चाहिए।
माला में १०८ दाने के होने का कई प्रमाण हमें हमारे ग्रथों में मिलते है। आज हम आपको कुछ प्रमाणों के द्वारा इसी संबंध से रूबरू करा रहें है। १०८ में ”१ अंक, उस ईश्वर का जो दिखाई तो त्रिदेवों के रूप में देता है लेकिन वास्तव में वह एक ही है। शून्य, निर्गुण निराकार ब्रह्म का और ८ अंक में पूरी सृष्टि समाहित है।”
यथा: –
भूमिरापोनलोवायु: रवं मनोबुद्धि रेव च।
अहंकार इतीयं मे भिन्नाप्रकृतिरष्टधा।।
अर्थात- पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार—यह ८ प्रकार की प्रकृति है।
धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता-
धार्मिक और वैज्ञानिक स्तर से भी इस गुत्थी को सुलझाया जा सकता है।
षट्शतानि दिवारात्रौ सहस्त्राण्येकं विशांति।
एतत् संख्यान्तितं मंत्रं जिवो जपति सर्वदा।।
इस श्लोक के अनुसार एक पूर्ण रूप से स्वस्थ मानव अपने पूरे दिन भर में २१,६०० बार सांस लेते है। जिसमें की आधा समय हमारा हमारे दिनचर्या में खत्म हो जाता है। बाकी के आधा समय १०,८०० बार सांसो का हमारे इष्ट देवों की आराधना के लिए शेष बचते है। जो की इष्टदेव की स्मरण के लिए करना चाहिए। जो की आज के भाग-दोड़ वाली दुनिया में सम्भव नही है। जिसके परिणामस्वरूप इसके अतिंम के दो शुन्य को हटाकर केवल १०८ सांस में कर दिया गया है। मानव को अपने प्रभु की वंदना कर उन्हें प्रसन्न करने हेतू १०८ की संख्या की मान्यता प्रदान की गई।
ज्योतिष और १०८ माला का संबंध-
इसके अलावा यह भी मान्यता है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल २७ नक्षत्र बताये गये है। हर नक्षत्र के चार चरण बताए गए हैं और २७ नक्षत्रों के कुल १०८ चरण होते हैं। इस प्रकार माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष के अनुसार, ब्रह्माण्ड को १२ भागों में विभाजित किया गया है। इन १२ भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन है। इन १२ राशियों में ९ ग्रह- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या ९ का गुणा राशियों की संख्या १२ में किया जाए तो संख्या १०८ प्राप्त होती है। हम कह सकते है कि माला के मोतियों की संख्या १०८ पुरे ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करती है।
सूर्य और १०८ माला का अनूठा रिश्ता-
हिन्दू मान्यताओं के अनूसार माला के १०८ मोती और सूर्य की कलाओं के बीच गहरा संबंध है। एक साल में सूर्य २,१६,००० कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार वो अपनी स्थिति बदलता है। सूर्य ६ माह उत्तरायण रहता है और ६ माह दक्षिणायन। सूर्य ६ माह की एक स्थिति में १,०८,००० बार कलाएं बदलता है। इसी संख्या १,०८,००० से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के १०८ मोती निर्धारित किये गए हैं। ऐसे ही कुछ रोचक कारण है। माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही एक मात्र दिखने वाले देवता हैं। इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या १०८ निर्धारित की गयी।
१०८ दाने की माला से जाप का महत्व-
जो भी मानव माला की मदद से मंत्र जप करता है, उसकी मनोकामनाएं बहुत जल्द पूर्ण होती हैं। माला के साथ किए गए जप अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या के आधार पर किए जाए तो श्रेष्ठ रहता है। इसीलिए माला का उपयोग किया जाता है।
१०८ माला और संतों का संबंध-
संतों तथा महान पुरूषों के नाम के पूर्व १०८ अंक का प्रयोग यह भी संकेत देता है कि वे प्रकृति, ईश्वर एवं ब्रह्म के संबंध में परोक्ष और अपरोक्ष ज्ञान वाले हैं।