मंदिर- मन: और अन्दर यह दोनों शब्दों का समावेश ही मंदिर कहलाता है। ऐसे मंदिर में स्थापित हमारें आराध्य सच्चिदानंद जो सत चित आंनद हो वहाँ सारे देवताओं का वाश होता हैं। ऐसे मंदिर को देवालय भी कहा जाता है। मान्यता है कि आमतौर पर मंदिर में जाना धार्मिक रिति-रिवाजों से जोड़ा गया है। हमारें मंदिर में जाने से हमें एक आलौकिक शांति का अनुभव होता हैं। इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने भी कई शोध किये जिसमें यह देखा गया की मंदिर जाने से हमारें स्वास्थ्य में कई फायदें होते है। वैज्ञानिकों का मत है कि अगर हम रोज मंदिर जाते है तो इससे सात तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स कंट्रोल की जा सकती हैं। जिनके बारें में आज हम आपकों अवगत करा रहें है।
१. एनर्जी लेवल बढ़ना-
मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगे घंटे को हमारें द्वारा बजाने से ७ सेकण्ड्स तक हमारें कानों में पहुंचने वाली ध्वनि गूंजायमान रहती है। जिससे हमारें शरीर में सुकून पहुंचने के साथ हमारें शरीर में मौजूद ७ प्वाइंट्स एक्टिव हो जाते हैं। इससे हमारी एनर्जी लेवल बढ़ने में मदद मिलती है।
२. स्ट्रेस दूर होना-
मंदिर में रहने के दौरान वहाँ का शांत माहौल मेंटली रिलैक्स में मदद करती है। जिससे हमारे स्ट्रेस दूर हो जाते है। एवं मंदिर में शंखनाद होने से हमारें शरीर में एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता है।
३. हाई बीपी कंट्रोल –
मंदिर में जाते समय हम नंगे पांव होते है। पर हमने कभी यह नहीं सोचा होगा की इसका भी हमारें स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। नंगे पांव मंदिर में जाने से वहां की पॉजिटिव एनर्जी पैरों के जरिए हमारें शरीर में प्रवेश कर जाती है। जिससे साथ ही साथ नंगे पांव होने से पैरों में मौजूद प्रेशर प्वाइंट्स पर दवाब भी पड़ता है, जिससे लम्बें समय से चल रही हमारी हाई बीपी की प्रॉब्लम कंट्रोल हो जाती हैं।
४. बैक्टीरिया से बचाव-
मंदिर में पूजा हेतू उपयोग में लाया गया कपूर और हवन का धुआं हमारे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया खत्म करता है। इससे वायरल इंफेक्शन का खतरा टलता है।
५. डिप्रशन दूर होना-
हमारें रोज मंदिर में जाना और भगवान की आरती गाने से ब्रेन फंक्शन सुधरते हैं। इससे डिप्रेशन दूर होता है।
६. कॉन्सेंट्रेशन बढ़ना-
मंदिर जाने पर वहां मौजूद पुजारी हमारें दोनों भौहों के मध्य में तिलक लगाते है जिससे हमारे ब्रेन के खास हिस्से पर दवाब पड़ने से हमारा कॉन्सेंट्रेशन बढ़ता हैं।
७. इम्युनिटी लेवल बढ़ाना-
मंदिर में प्रवेश करने के बाद अपने ईष्ट देव को देखते ही हम अपने दोनों हाथों को जोड़ अपने प्रभु की वदना करते है। इस दौरान हमारें जुड़े दोनों हाथों के हथेलियों और उंगलियों के उन प्वॉइंट्स पर दबाव बढ़ता है, जो बॉडी के कई पार्टस से जुड़े होते हैं। इससे बॉडी फंक्शन सुधरते हैं और इम्युनिटी बढ़ती है।