ॐ मंत्र का क्या है वैज्ञानिक रहस्य? क्या इसको उच्चारण करने से मिलते है लाभ?
ॐ है हर रोग का इलाज, जानें ओम के उच्चारण से होने वाले स्वास्थ्य फायदें
ओम सिर्फ एक पवित्र ध्वनि ही नहीं, बल्कि अनन्त शक्ति का प्रतिक है, मेडिटेशन से होने वाले लाभ के संबंध में हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप ओम(ॐ) मेडिटेशन के बारे में जानते हैं। ॐ मेडिटेशन को मंत्र मेडिटेशन के रूप में भी जाना जाता है। इसके उच्चारण मात्र से हमारे शरीर के अन्दर के सारे विषैले तत्वों का नाश हो जाता है। तो आइए जानते है कि ओम मेडिटेशन क्या है, इसे कैसे करना चाहिए और क्या हैं इसके लाभ!
ॐ मंत्र से तो हम सभी परिचित हैं, सनातन धर्म और ईश्वर में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति देव उपासना के दौरान शास्त्रों, ग्रंथों में या भजन और कीर्तन के दौरान ॐ महामंत्र को कई बार पढ़ता, सुनता या बोलता है। लेकिन क्या इसके उच्चारण करने मात्र से हमारे शरीर रोग मुक्त हो सकते है? विश्व में यह एक मात्र ऐसा मंत्र है जिसे कोई मूक भी उच्चारण कर सकता हैं। हकीकत में ये हैरान कर देने वाली बात है कि आप इसे अपनी जीभ हिलाये बिना ॐ का उच्चारण कर सकते है। इसके तीन तत्व आ, ओ और म हैं, जिन्हें वेद से लिया गया है। यह तीन वर्ण परम ब्रह्म को दर्शाते हैं। आ का मतलब माना जाता है अविरवरभाव या उत्पन्न होना यानि किसी चीज का जन्म होना, ओ का अर्थ उठने से माना जाता है उड़ना यानि विकास, और म का अर्थ होता है मौन हो जाना यानि की ब्रह्मलीन हो जाना। ओम को पुरे ब्रहमाण्ड और पूरी सृष्टि का स्वरूप माना जाता है। इसे त्रिदेवों से जोड़ा गया है। जैसे ब्रह्मा सृष्टि का निमार्ण करते है जिससे इसे आ से जोड़ा गया है। जैसे विष्णु जगत पालन कर्ता है जिससे इसे ओ से जोड़ा गया है वहीं शिव को विनाशक के रूप में देखा जाता है। जिससे इसे म से जोड़ा गया है।
इसके रहस्य पर ध्यान दें तो मालूम चलता है कि ॐ मंत्र की ध्वनि सभी ध्वनि से अलग है, यह स्वयं उत्पन्न होती है। ॐ मंत्र की ध्वनि ही पहली ध्वनि है और इसी में सभी ध्वनियाँ निहित हैं। इसके उच्चारण से चिकित्सकिय, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। अगर आप नास्तिक हो, आपकी शब्द में आस्था नहीं है या ॐ मंत्र का अर्थ नहीं जानते हैं लेकिन तब भी आप इसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
विज्ञान ने भी ॐ के उच्चारण और इसके लाभ को प्रमाणित किया है। यह धीमी, सामान्य और पूरी साँस छोड़ने में सहायता करती है। यह हमारे श्वसन तंत्र को विश्राम देता है और नियंत्रित करता है। साथ ही यह हमारे मन-मस्तिष्क को शांत करने में भी लाभप्रद है।
ॐ को बोलते समय पूरा ध्यान बोलने पर ही रखें इससे मस्तिष्क में मौन उतर जायेगा पूरा शरीर तनाव रहित और शांत मालूम होने लगेगा। इसे सुबह के समय करना सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।
घबराहट दुर होती है- अगर आपको ज्यादातर घबराहट होती हैं, तो आपको ॐ का रोजाना उच्चारण करना चाहिये इससे चमत्कारी लाभ होते है, और घबराहट होना बंद हो जाती है।
बाँझपन दूर होता है- वैज्ञानिकों ने ७ साल तक ओम के उच्चारण पर शोध किया और पाया की रोजाना ॐ के उच्चारण से मस्तिष्क सहित पूरे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर की मृत हुई कोशिकाए दुबारा जन्म लेतीं हैं। और इससे एड्स के मरीजों को भी आराम मिलता हैं साथ ही महिलाओं का बांझपन भी दूर होता हैं।
स्वस्थ होता हैं शरीर- ॐ का उच्चारण करने से शरीर में सकारात्मक बहाव होता हैं, वैज्ञानिक नजरिये से भी ॐ बोलतें समय बहुत सारी शक्ति पैदा होती हैं जो की शरीर के विभिन्न अंगो को स्वस्थ करती हैं।
नींद के मरीजों को आराम- अगर आपको नींद नहीं आती हैं तो यह ॐ का उच्चारण आपके लिये बहुत फायदेमंद साबित होगा, इससे आपकी नींद गहरी होती जायेगी।
शुगर और बीपी- ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों के लिये भी यह लाभकारी होता हैं, रोजाना सुबह के समय १०८ बार ॐ मंत्र के से ब्लड प्रेशर या शुगर में लाभ दिखाए देने लगता है।
आध्यात्मिक लाभ- ॐ के उच्चारण करने से एक आध्यात्मिक लाभ यह होता है कि आपको भविष्य आने वाला पल केसा होगा इसका अभास होने लगता है।
सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ, और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्त्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथियों के स्त्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।
इसको करने की उत्तम विधि प्रात: उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण ५, ७, १० व २१ बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं। इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसके उच्चारण से फेफड़े दुरूस्त होते हैं। ॐ के उच्चारण से कंपन पैदा होता है जो रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
शिव पुराण के अनुसार- प्र यानी प्रपंच, न यानी नहीं और व: यानी तुम लोगों के लिए। सार यही है कि प्रणव मंत्र सांसारिक जीवन में प्रपंच यानी कलह और दु:ख दूर कर जीवन के सबसे अहम लक्ष्य यानी मोक्ष तक पहुंचा देता है। यही वजह है कि ॐ को प्रणव नाम से जाना जाता हैं।
ॐ को सभी मंत्रों का राजा माना जाता है। सभी बीजमंत्र तथा मंत्र इसीसे उत्पन्न हुए है। इसे कुछ मंत्रों के पहले लगाया जाता है। यह परब्रह्म का परिचायक है।
लाभ-
१.नियमित ॐ का मनन करने से पूरे शरीर को विश्राम मिलता है और हार्मोन तंत्र नियंत्रित होता है।
२.ॐ के अतिरिक्त चिंता और क्रोध पर नियंत्रण पाने का इससे सरल मार्ग दूसरा नहीं है।
३.ॐ का उच्चारण प्रदूषित वातावरण में यह पूरे शरीर को विष मुक्त करता है।
४.ॐ का मनन ह्दय और रक्त संचार प्रणाली को सुद्दढ़ करता है।
५.ॐ के उच्चारण से यौवन और चेहरे पर कांति आती है।
६.ॐ के जप से पाचन तंत्र सुद्दढ़ होता है।
७.थकान के बाद ॐ का मनन आपको नई ऊर्जा से भर देता है।
८.अनिद्रा रोग से छुटकारा पाने में ॐ का बहुत महत्व है। सोते समय इसका नियमित मनन करें।
९.थोड़े से प्रयास में ॐ की शक्ति आपके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को सुद्दढ़ बनाना है।
इसके वैज्ञानिक लाभ-
१.ॐ की शक्ति आपको दुनिया का सामना करने की शक्ति देती है।
२. ॐ का नियमित मनन करने से आप क्रोध और हताश से बचे रहते है।
३.ॐ की गूंज आपको स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है। आप स्वयं में नया उत्साह महसूस करते है।
४.ॐ की ध्वनि से आपके पारस्परिक सम्बंध सुधरते है। आपको व्यक्तित्व में आने वाला बदलाव लोगों को आकर्षित करता है और लोग आपसे ईष्या करना छोड़ देते है।
५.आप अपने जीवन के उद्देश्य और उसकी प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं और आपके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है।
६.नई उमंग और स्फूर्ति आती हैं। आप में सजगता और सर्तकता बढ़ती है।