संकट चौथ 2024:सकट चौथ आज, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

0
95
views
Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
1

सार

मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में बुद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने में सहायक सिद्ध होती है।

Gyaansagar: अनेकानेक कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत 29 जनवरी को मनाया जाएगा। संतानों को सभी आपदाओं से बचाने के लिए यह व्रत किया जाता है। इस व्रत को सविधि संपन्न करने के लिए सभी मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार एक ही नियम हैं कि चंद्रमा का उदय और चतुर्थी दोनों का संयोग होना चाहिए, अर्थात चंद्रमा को अर्घ्य तभी दिया जा सकता जब चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय हो रहा हो और चन्द्रदेव अर्घ्य तभी स्वीकार करेंगे जब चतुर्थी तिथि विद्यमान हो दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। 

सकट चौथ की तिथि
संकष्टी व्रत 29 जनवरी को सूर्योदय से लेकर अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 55 मिनट तक चतुर्थी तिथि विद्यमान रहेगी और उज्जैन के समयानुसार 29 जनवरी को चंद्रमा रात्रि 09 बजकर 15 मिनट पर उदय हो रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप चतुर्थी और चंद्रोदय का अच्छा संयोग मिल रहा है। आपके राज्य-शहर में भी ये व्रत चंद्रोदय के समय ही मनाया जाना है इसलिए स्थानीय चंद्रोदय के अनुसार ही व्रत का निर्णय करें।

सकट चौथ 2024 तिथि और मुहूर्त 

सकट चौथ तिथि: 29 जनवरी, 2024, सोमवार 
चतुर्थी तिथि का आरंभ: 29 जनवरी को सुबह 06 बजकर 10  मिनट से
चतुर्थी तिथि की समाप्ति: 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 55 मिनट पर

चंद्रोदय का समय: रात 09 बजकर 15 मिनट पर(उज्जैन)

चन्द्रमा और गणेश होते हैं प्रसन्न
मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में बुद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा पाठ वर्ष पर्यंत सुख शान्ति और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होता है। यह उत्तर भारतीयों का प्रमुख पर्व है। शास्त्र परंपरा के अनुसार इस दिन गुड और तिल का पिंड बनाकर उसे पर्वत रूप समझकर दान किया जाता है। गुड़ से गौ की मूर्ति बनाकर जिसे गुड़-धेनु कहा जाता है का दान रात्रि में चंद्रमा और गणेश की पूजा के उपरांत अगले दिन प्रासदस्वरुप दान करना चाहिए।

सकट चौथ का महत्व

चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से भगवान गणेश जीवन में सभी तरह बाधाएं को दूर करते हैं। माघ महीने की सकट चौथ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा सकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है।

सकट चौथ पूजा विधि
गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य, ऋतु फल आदि से गणेश जी का षोडशोपचार बिधि से पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य भी दें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ॐ चन्द्राय नमः। ॐ सोमाय नमः। मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए। व्रती को इस दिन चन्द्रमा के उदय की विशेष प्रतीक्षा रहती है। व्रत करने वालों के लिए यदि संभव हो तो दस महादान जिनमें अन्नदान, नमक का दान, गुड का दान, स्वर्ण दान, तिल का दान, वस्त्र का दान, गौघृत का दान, रत्नों का दान, चांदी का दान और दसवां शक्कर का दान करें। ऐसा करके प्राणी दुःख-दारिद्रता, कर्ज, रोग और अपमान के विष से मुक्ति पा सकता है। 

यदि यह सभी दान संभव न भी तो भी तिल और गुड से बना पिंड (पर्वत) का ही दान करके ईष्ट कार्य की प्राप्ति और संकट हरण भगवान गणेश की कृपा का पात्र बन सकते है। इसदिन गौ और हाथी को गुड खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। विद्यार्थी वर्ग गणेश चतुर्थी के दिन ॐ गं गणपतये नमः का 108बार जप करके प्रखर बुद्धि और विद्या प्राप्त कर सकते हैं। ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धी महि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात। का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं को दूर करेगा।

Like
Like Love Haha Wow Sad Angry
1

Warning: A non-numeric value encountered in /home/gyaansagar/public_html/wp-content/themes/ionMag/includes/wp_booster/td_block.php on line 1008

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here